वर्ष 2011 से पहले नियुक्त पहली से आठवीं कक्षा के लाखों शिक्षकों ने अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का विरोध करते हुए 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षक संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विरोध धरने में अपनी मांग रखेंगे। उन्होंने सरकार से उनके हितों की रक्षा करने की मांग दोहराई है।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लाखों सेवारत शिक्षक एकजुट हो गए हैं। भर्ती विज्ञापन में 2011 से पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इतने सालों की सेवा के बाद यह बदलाव गलत है। यादव ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे।
बच्चों को पढ़ाएं या परीक्षा की तैयारी करें
शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि शिक्षकों पर 2025 में अचानक टीईटी अनिवार्य का फैसला क्यों थोपा गया। वे बच्चों को पढ़ाएं या अपनी परीक्षा की तैयारी करें? एक अनुमान के मुताबिक, टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देश भर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। जंतर-मंतर पर होने वाले इस आंदोलन के लिए अक्तूबर से ही जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया था।

