जनपद के सीखड़ ब्लाक के पचरांव प्राथमिक विद्यालय प्रथम पर दो अतिरिक्त कक्षा कक्ष के लगभग चार लाख रुपये के गमन के रहस्य से बेसिक शिक्षा विभाग दस साल बाद भी पर्दा नहीं उठा सका। आरोप है कि विद्यालय का प्रधानाध्यापक ने दो अरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण का लगभग चार लाख रुपये धनराशि अपने व्यक्तिगत बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर मौज उड़ा डाला। जबकि मामले की जांच कर कार्रवाई करने की मांग संबधित अधिकारियों से लगातार कर रहे हैं। लेकिन अभी तक अंजाम सिफर ही है। दरअसल प्राथमिक विद्यालय पचरांव प्रथम पर वर्ष-2005 से 2012 के बीच चार अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण के लिए लगभग छह लाख 93 हजार (693000) रुपये विभिन्न योजनाओं में विद्यालय को दिया गया। 2005 के प्राथमिक विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाध्यापक ने एक अतिरिक्त कक्षा कक्ष निर्माण कराए बिना सेवानिवृत्त हो गए। एक अतिरिक्त शिक्षण कक्ष की धनराशि विद्यालय कोष में डंप रहा। 2012 में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में रत्नेश्वर सिंह ने कार्यभार संभाला। प्रभारी प्रधानाध्यापक ने दो अतिरिक्त शिक्षण कक्ष का निर्माण कराया। आरोप है कि जमीन का विवाद होने के चलते दो अरिक्त कक्षा का निर्माण नहीं हो सका। दो अतिरिक्त कक्षा कक्ष की धनराशि लगभग चार लाख अवशेष धनराशि के रूप में पड़ा रहा। जानकारी होने पर तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरिक्त कक्षा कक्ष की अवेष धनराशि चेक के माध्यम से वापस छानबे के एक विद्यालय के लिए निर्गत करने के लिए प्रधानाध्यापक व ग्रामप्रधान को निर्देश दिए। बीएसए के निर्देश पर प्रधानाध्यापक ने अवशेष धनराशि लौटाने के लिए चेक बनवाया। आरोप है कि चेक बनाने में ही खेला हो गया। चेक पर दर्ज एमाउंट कहीं और जाने की बजाय प्रभारी प्रधानाध्यापक के ही बैंक एकाउंट ट्रांसफर हो गया। तभी से हाय तौबा मचा हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग से लेकर ग्रामीण आज तक समझ नहीं पा रहे कि आखिर घूम-फिर प्रभारी प्रधानाध्यापक के बैंक खाते में सरकारी खजाने का पैसा कैसे आ गया।