अगर 7 फरवरी से खुलते हैं उत्तर प्रदेश के स्कूल-कॉलेज तो फिर इतने दिनों तक बंद हो जाएंगे स्कूल, जानिए क्या है कारण
अगर उत्तर प्रदेश में 7 फरवरी से स्कूल खुले तो यानि ऑफ-लाइन कक्षाएँ शुरू हो जाएंगी, लेकिन इसके बाद भी फरवरी महीने के बचे कुल 22 दिनों में छुट्टियों के चलते कुल सात दिन फिर स्कूल बंद रहेंगे, यानि फरवरी महीने में कुल मिलाकर मात्र 15 दिन ही पढ़ाई होगी बाकी दिन छुट्टियाँ रहेंगी।
जनवरी बीत चुका है और एक भी दिन स्कूल नहीं खुले, हालांकि अब नये आदेशों के मुताबिक 7 फरवरी से स्कूल खुल जाएंगे यानि ऑफ-लाइन कक्षाएँ शुरू हो जाएंगी, लेकिन इसके बाद ही फरवरी महीने के बचे कुल 22 दिनों में छुट्टियों के चलते कुल सात दिन फिर स्कूल बंद रहेंगे।
यानि फरवरी महीने में कुल मिलाकर मात्र 15 दिन ही पढ़ाई होगी, इन सात दिनों की छुट्टियों में रविवार की भी तीन छुट्टियाँ शामिल हैं, स्कूल खुलने के बाद पहली छुट्टी 15 फरवरी को पड़ रही है, इस दिन हजरत अली का जन्मदिन है, इस दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित है।
वहीं इसके बाद फिर 16 फरवरी को गुरु रविदास जयंती की छुट्टी पड़ रही है। फिर अगली छुट्टी 26 फरवरी को महार्षि दयानंद सरस्वती जयंती और 28 फरवरी को महाशिवरात्रि की छुट्टी है।
तीन रविवार भी
इसके अलावा 13 फरवरी, 20 फरवरी और 27 फरवरी को रविवार पड़ रहा है, इस दिन तो वैसे भी स्कूल बंन्द ही रहेंगे। वैसे तो फरवरी महीने में 5 तारीख को बसंत पंचमी की छुट्टी है लेकिन इस दिन पहले से ही स्कूल बंद हैं, तो आइये देखते हैं फरवरी में पड़ने वाली बाकी बची छुट्टियों की लिस्ट
फरवरी में पड़ने वाली छुट्टियाँ
15 फरवरी - हजरत अली का जन्मदिन
16 फरवरी- गुरु रविदास जयंती
स्कूलों के लिए गाइडलाइन
07 फरवरी से स्कूल खुलते हैं तो भी स्कूलों को उन सभी गाइडलाइन्स का पालन करना अनिवार्य होगा, जो सरकार ने पहले जारी किया हुआ है, आपको बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी सरकार ने पहले ही स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी कर रखी है।
इस गाइडलाइन के अनुसार स्कूल प्रबंधन बिना अभिभावकों की सहमति के किसी भी बच्चे को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
स्कूल परिसर में सभी के लिए मास्क जरूरी
इसके साथ ही स्कूल परिसर में सभी लोगों को आवश्यक रूप से मास्क पहनना होगा, स्कूलों को विकल्प के तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था करानी होगी।
यदि स्कूल में किसी को भी जुकाम, बुखार आदि के लक्षण दिखते हैं तो उसे चिकित्सीय सलाह के साथ उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, कोई भी आयोजन तब ही किया जाए जब उसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सकता हो।