बच्चों को पढ़ने में हुई परेशानी तो 175 स्कूलों में बन गए स्मार्ट क्लास


गोरखपुर, कोरोनाकाल में बच्चों ने दो साल तक ऑनलाइन पढ़ाई की, अब ऑफलाइन क्लास शुरू होने पर कई बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर पढ़ना मुश्किल हो रहा है। उन्हें ब्लैक बोर्ड पर पढ़ना अच्छा नहीं लग रहा है साथ ही उनकी यह भी शिकायत है कि ब्लैक बोर्ड साफ नही दिख रहा है।
बच्चों की इन शिकायतों से शिक्षक और परिजन परेशान हो रहे हैं । वह विशेषज्ञों व अधिकारियों से सलाह ले रहे हैं। हालांकि उनकी शिकायतो से किसी बीमारी की बात तो सामने नहीं आ रही है। मगर दो साल तक ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से उन्हें ब्लैक बोर्ड पर पढ़ने में दिक्कत हो रही है। इससे पीछले एक माह के अंदर जिले के सभी 20 कस्तूरबा विद्यालय और 90 परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास बनवाया गया। जहां पर बच्चे प्रोजेक्टर पर पढ़ाई कर रहे हैं। अब उनकी शिकायत भी सामने नहीं आ रही है। वहीं 65 में पहले से संचालित हो रहा है। कस्तूरबा बालिका विद्यालय प्रभारी ज्ञान प्रकाश राय ने बताया कि करीब दो वर्ष बाद जब आफलाइन पढ़ाई के लिए छात्राएं विद्यालय पहुंची। ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाई के दौरान उन्होंने वार्डेन से लेकर शिक्षकों से पढ़ने में असहमती जताते हुए बताया कि उन्हें ब्लैक बोर्ड पर पढ़ने में दिक्कत हो रही है। जब इस तरह की शिकायत जिले में संचालित 20 कस्तूरबा विद्यालयों से आने लगी तो सर्वशिक्षा अभियान के सहयोग से सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास बनवाये गये। जहां पर कक्षा छह, सात और आठ की छात्राएं पढ़ाई कर रही है। साथ ही दो विषयों विज्ञान और गणित की पढ़ाई ऑनलाइन चलवायी जा रही है। अब सभी छात्राएं आसानी से पढ़ाई कर रही है।

तीन से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत

प्राथमिक विद्यालय आरजी बसडीला के प्रधानाध्यापक आशुतोष सिंह, कंपोजिट विद्यालय अहललादपुर की प्रधानाध्यापिका सरीता दूबे, पूर्व माध्यमिक विद्यालय पथरा के ज्ञानेन्द्र ओझा ने बताया कि दो साल तक कोरोना के कारण स्कूल बंद रहे। बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चली। साथ ही शासन के निर्देश पर हर वर्ष बच्चों को अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया। ऐसे में जो बच्चा कक्षा एक में था वह तीन में चला गया। अब उसकों कक्षा तीन में पढ़ने में दिक्कत हो रही है। शिक्षकों ने बताया कि कक्षा एक में जहां पर बच्चे को पढ़ना सीखाया जाता है। वहीं कक्षा तीन में उन्हें पांच विषयों हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, संस्कृत और हमारा परिवेश को पढ़ना पड़ रहा है। शिक्षकों के अनुसार जो बच्चे पढ़ने में सही है वह जल्द ही विषय पर पकड़ बना ले रहे हैं। मगर जिन्हें पढ़ने नहीं आ रहा है उनके लिए अलग कक्षा का संचालन करना पड़ रहा है।

जिलाधिकारी की पहल पर कराया जा रहा रिवाइज

कोरोना के बाद स्कूल खुलने पर जिलाधिकारी ने शिक्षकों को इस तरह की समस्याओं के बारे में अवगत कराया था। जिसे कुछ विद्यालयों ने लागू करते हुए कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए एक किताब चलाकर उनका रिवाइज करवा रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग भी इसमें अग्रणी भूमिका का निर्वहन करते हुए हर माह ऑनलाइन टेस्ट आयोजित करा रहा है। जिससे की जिन बच्चों की पढ़ाई कोरोना कॉल में नहीं हुई। उनका रिवाइज हो सके।