पदोन्नति के लिए पहुंचे, मायूस लौटे शिक्षक👉 बुधवार को काउंसलिंग के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे थे शिक्षक




गोरखपुर (एसएनबी)। बेसिक के प्राथमिक विद्यालयों के सहायक लिए पदोन्नति का इंतजार और बढ़ गया है। लंबे इंतजार के बाद बुधवार को पदोन्नति के लिए काउंसलिंग होनी थी। इसको लेकर बड़ी संख्या में शिक्षक बीएसए कार्यालय पहुंचे। घंटों इंतजार के बाद उन्हें यह जानकारी मिली कि आज काउंसलिंग नहीं होगी। विभाग के इस रवैये से शिक्षकों में खासा रोष है।

प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापकों की प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक व उप्रावि में सहायक अध्यापक पद पर पदोन्नति की कवायद इस वर्ष जनवरी से शुरू हुई थी। वरिष्ठता सूची को लेकर तमाम जिलों में आपत्तियां सामने आयी। इसको लेकर काफी समय तक सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। हालांकि, गोरखपुर उन जिलों में शामिल है जहां वरिष्ठता सूची तैयार हो वी एवं चुकी है। गोरखपुर में 1600 सहायक अध्यापकों की पदोन्नति होनी है। बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों से 19 नवम्बर तक वरिष्ठता सूची पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 22 नवम्बर को पदोन्नति के लिए काउंसलिंग होनी थी।





बुधवार को काउंसलिंग को लेकर काफी संख्या में शिक्षक बीएसए कार्यालय पहुंचे। काउंसलिंग के बाद शिक्षकों को पदोन्नति पत्र प्रदान करते हुए विद्यालय आवंटित किया जाना था। पदोन्नति को लेकर शिक्षक भी काफी खुश नजर आ रहे थे। हालांकि, काफी इंतजार के बाद भी बीएसए कार्यालय पर काउंसलिंग शुरु नहीं हो सकी। इस पर शिक्षकों का रोष बढ़ गया। उन्होंने कहा कि इसका कोई कारण भी नहीं बताया जा रहा । जानकारी के मुताबिक कई जिलों की वरिष्ठता सूची पोर्टल पर अपलोड नहीं होने से बुधवार को काउंसलिंग को अचानक स्थगित करना पड़ा। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ ने काउंसलिंग स्थगित होने पर नाराजगी जतायी है। जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र ओझा ने कहा कि पदोन्नति के लिए काउंसलिंग की तिथि घोषित करने के बाद इसे स्थगित करना दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षक लंबे समय से पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे थे। गुजरते साल में उन्हें विभाग से पदोन्नति की सौगात मिल जाती। उन्होंने कहा कि जिले में अभी भी कुछ स्कूल शिक्षकों के अभाव में बंद चल रहे हैं। कुछ स्कूल एक-दो शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। पदोन्नति के बाद ऐसे स्कूलों में शिक्षकों को भेजा जा सकता था लेकिन विभाग के कुछ अधिकारियों के अरूचिपूर्ण रवैये का खमियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है।