अब विद्यालयों में 6 साल से छोटे बच्चों को नहीं मिलेगा कक्षा 1 में प्रवेश

 
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सत्र 2024-25 से पहली कक्षा में प्रवेश के लिए बच्चों की उम्र 6 वर्ष से कम न हो

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक नोटिस जारी कर कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष तय करने का निर्देश दिया है। शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कक्षा 1 में प्रवेश के लिए विद्यार्थी की न्यूनतम आयु 6 साल निर्धारित करनी होगी।



नियमों का पालन:


इससे कम आयु वाले बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। सत्र 2024-25 के लिए कुछ राज्यों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और कुछ में इसकी शुरुआत जल्द ही होगी। ऐसे में केंद्र ने निर्देश जारी किए हैं कि इस बार की प्रवेश प्रक्रिया में न्यूनतम आयु के नियम का पूरी तरह से पालन किया जाए।


पिछले वर्ष के निर्देशों का पालन नहीं:


बता दें कि पिछले साल भी केंद्र ने इसी तरह का नोटिस जारी कर न्यूनतम आयु संबंधी निर्देश दिए थे, लेकिन इनका पूरी तरह से पालन नहीं किया गया था।


राज्यों में भिन्नता:


भारत के अलग-अलग राज्यों के स्कूलों में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए आयु योग्यता अलग-अलग हैं। असम, गुजरात, पुडुचेरी, तेलंगाना, राजस्थान, लद्दाख, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, गोवा, झारखंड, कर्नाटक और केरल में 5 साल की आयु वाले बच्चों को भी कक्षा 1 में प्रवेश दिया जाता है। केवल उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु 6 साल है। सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए ये निर्देश दिए हैं।


नई शिक्षा नीति का हिस्सा:


कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित करने का नियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पेश किए गए बदलाव का हिस्सा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की 5+3+3+4 स्कूल प्रणाली के अनुसार, 6 से 8 वर्ष के आयु समूह के अनुरूप पहली और दूसरी कक्षा के 2 वर्ष शामिल हैं। ऐसे में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा 6 साल निर्धारित की गई है। इससे शुद्ध नामांकन अनुपात की माप प्रभावित नहीं होगी।


3 साल से कम उम्र के बच्चे:


3 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल भेजना तर्कसंगत नहीं है। गुजरात हाई कोर्ट ने 1 मामले की सुनवाई करते हुए इसे गैरकानूनी बताया था। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी प्री-स्कूल ऐसे बच्चे को दाखिला नहीं दे सकता, जिसने उस वर्ष 1 जून को 3 साल की आयु पूरी नहीं की हो। बता दें, प्री-स्कूल में प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा बच्चे को औपचारिक स्कूल की कक्षा 1 में दाखिला लेने के लिए तैयार करती है।