बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षकों के बीमा के 23 लाख रुपये दबा गई कंपनी

 बांदा। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षकों की करीब 23 लाख रुपये की धनराशि बीमा कंपनी ने दबा ली। शिक्षकों के खातों से नौ वर्ष तक प्रति माह 83 से 87 रुपये तक कटौती होती रही। 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए यह योजना सितंबर माह में बंद कर दी गई,लेकिन वेतन से काटी गई प्रीमियम की राशि आज तक नहीं लौटाई गई। शिक्षक नेताओं ने वित्त नियंत्रक तक कई बार लिखा-पढ़ी की, पर अभी तक शिक्षकों को मायूसी ही हाथ लगी है।




बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की सुविधा के लिए में 2006 जीवन बीमा शुरू किया था। इस योजना के तहत प्रत्येक शिक्षक के खाते से बीमा पालिसी के हर माह पहले 83 रुपये और फिर 87 रुपये काटे जाते रहे। एलआईसी ने 31 मार्च 2014 को ही समूह जीवन बीमा बंद कर दिया था। 31 मार्च 2014 से पहले नियुक्त शिक्षक इस योजना के दायरे में लिए गए, लेकिन इस तिथि के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को इससे बाहर कर दिया गया। करीब नौ साल तक उनके वेतन से प्रीमियम की कटौती होती रही। बेसिक शिक्षा परिषद ने एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) को इसका माध्यम बनाया था।


पहले 83 फिर 87 रुपये उनके खाते से हर माह लगातार काटे गए। ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 299 है, जिनकी नियुक्ति 2014 के बाद हुई है। इसके अलावा 83 शिक्षणेत्तर कर्मी भी शामिल हैं, जिनका 41 रुपये कटौती होती रही। शिक्षकों के विरोध के बाद इनका सितंबर 2023 से प्रीमियम कटना बंद हो गया है। करीब नौ वर्षों तक 2382 शिक्षक व कर्मचारियों के खाते से लगभग 23 लाख रुपये कंपनी ने काटा,लेकिन बीमा का लाभ आज तक नहीं मिल सका। साथ ही बीमा कवर भी पीड़ितों को नहीं मिला। शिक्षक नेताओं ने यह धनराशि वापस कराने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद व शासन में कई बार की, पर उसका नतीजा नहीं निकल सका।

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-बीमा का लाभ 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों को नहीं मिलना है। उनकी काटी गई धनराशि वापस कराई जाएगी। इस संबंध में लगातार पप्रयास चल रहे हैं।

-प्रिंसी मौर्या, बेसिक शिक्षा अधिकारी, बांदा

-2014 के बाद जितने भी शिक्षक नियुक्त हैं और नौ साल लगातार कटौती हुई है,उनका तत्काल भुगतान किया जाना चाहिए। परिषदीय शिक्षकों के खातों से बीमा की कटौती पर लाभ नहीं मिला है। बेसिक शिक्षा परिषद व वित्त नियंत्रक से पत्राचार हो चुका है। नौ साल तक कटौती होती रही। बीमा का लाभ मिलना नहीं मिला।

-आशुतोष त्रिपाठी, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ, बांदा