फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मास्टर माइंड की बहाली को लेकर चर्चा में आए थे बीएसए

 सिद्धार्थनगर। बेसिक शिक्षा विभाग में गठजोड़ करके फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मास्टर माइंड राकेश सिंह के बहाल किए जाने को लेकर बीएसए सवालों के घेरे में आए थे। लेकिन शिकायतकर्ता ने खुले तौर पर उन्हें शिक्षा माफिया को बहाल करने का आरोप लगाया है। शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खेल तो लंबे अरसे से चला आ रहा है। लेकिन पहली बार किसी अधिकारी पर केस दर्ज हुआ है। केस दर्ज होने के बाद से उनके अलावा दो बाबू और एक बीईओ गायब हैं। कार्यालय पर सन्नाटा है और हर तरफ इसी बात की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार, फर्जीवाड़े की जांच में जुटी एसटीएफ भी अभिलेख नहीं उपलब्ध कराने और जांच में सहयोग नहीं करने की शिकायत कर चुकी है।


बेसिक शिक्षा विभाग फर्जी दस्तावेज के सहारे शिक्षक बनाए जाने का वर्ष 2017 में भंडाफोड़ हुआ तो शासन ने मामले को गंभीरता से लिया और एसटीएफ को जांच सौंपी। एसटीएफ की जांच में विभागीय गठजोड़ की कलई खुलने लगी। फर्जीवाड़ा करने वाले शिक्षकों की लिस्ट लंबी होती चली गई। अबतक जनपद में 130 से अधिक फर्जी शिक्षक दबोचे गए। इस खेल से जुड़े कई बाबू नप गए, निलंबित हुए। फर्जीवाड़ की जांच अभी खत्म नहीं हुई। फर्जीवाड़ा करने के इस खेल में न तो कागजात की जांच करने वाले पकड़ में आए और न ही उस समय नियुक्ति करने वाले तत्कालीन बीएसए। पहली बार फर्जीवाड़ा नियुक्ति और वेतन भुगतान के मामले में बीएसए पर कार्रवाई हुई है। वह भी शिकायत सीधे एसटीएफ को हुई और उनकी जांच में आरोप की पुष्टि हुई, तब जाकर कार्रवाई हो पाई। सामान्य तौर पर शिकायत होती रहती, लेकिन जांच की बारी आती ही नहीं। एसटीएफ ने मामले को गंभीरता से लिया तो बीएसए, बीईओ और दो बाबू पर केस दर्ज हुआ। केस दर्ज होने के बाद से चारों आरोपी कार्यालय से गायब हैं। वहीं, कार्यालय पर आने वाले इसी बात की चर्चा करते नजर आए। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज हुआ है। जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।



जिसे माफिया बनाया, उसी को कर दिया बहाल


भर्ती शिक्षकों की भर्ती के मास्टर माइंड राकेश एसटीएफ की जांच में एक शिक्षक से शिक्षा माफिया बना। शिक्षा माफिया बताते हुए उसके खिलाफ गैंगस्टर सहित कई संगीन अपराध में मुकदमे दर्ज हुए। अपराध से अर्जित की गई करोड़ों की संपत्ति को पुलिस ने वहां जाकर जब्ती करने की कार्रवाई की। जिस माफिया को पकड़ने में एसटीएफ ने दिन रात एक कर दिया, उसे मौजूदा बीएसए ने बहाल कर दिया। वह किस आधार पर उसे बहाल किए और क्यों किए यह चर्चा का विषय बना रहा है। लेकिन यह मामला दबा रहा। एसटीएफ से शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता ने शिक्षा माफिया के बहाली का भी आरोप लगाया है। सूत्रों की माने तो एसटीएफ की जांच में इस बात की पुष्टि हुई है।


सूचना देने में भी शिथिलता


सूत्रों की माने तो मामले की जांच कर रही एसटीएफ की ओर से जब कोई कागजात की डिमांड की जाती थी तो देने के बजाए टाला जाता था। इस वजह से जांच प्रभावित होती थी। कई मामले में नाम पुष्टि होने के बाद भी केस दर्ज कराने में भी रुचि नहीं ली गई। कई बार दबाव के बाद केस दर्ज कराया जाता था। इसको लेकर शिकायत भी हुई थी।


रिकवरी की नोटिस देने में शिथिलता


बर्खास्त किए गए फर्जीवाड़ा के आरोपियों से धन की रिकवरी होनी है। किस व्यक्ति ने कितने दिन में कितना वेतन लिया है। पूरा रिकार्ड बनाकर एक-एक लोगों को नोटिस दिया जाना है। लेकिन विभाग की ओर से अब तक नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। कुछ शिक्षकों के भुगतान का ही डाटा एकत्र हुआ है। जबकि रिकवरी की कार्रवाई होनी है। विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक इसमें भी बहुत शिथिलता बरती जा रही है। कहीं न कहीं बचाने का कार्य किया जा रहा है।