दु: खद : सोना चाहता था शिक्षक, सिपाही ने छीन ली जिंदगी


मुजफ्फरनगर। शिक्षक धर्मेंद्र कुमार के साथ बिजनौर से ही मौत ने आंख-मिचौली शुरू कर दी थी। डीसीएम के ड्राइवर वाले हिस्से को छोड़कर शिक्षक पिछले हिस्से में चला गया। यहां पहले ही मौजूद हेड कांस्टेबल के साथ शहर तक के सफर में मनमुटाव हुआ। शहर में पहुंचे तो शिक्षक कुछ देर के लिए आगे आ गया, लेकिन इसके बाद दोबारा नींद की झपकी आने पर पीछे चला गया। कुछ देर बार ही उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।



वाराणसी से यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की उत्तर पुस्तिकाएं लेकर चंदौली के गांव बैराठ निवासी शिक्षक धर्मेंद्र कुमार (32) के साथ आए मऊ के थाना दोहरीगेट के गांव जमीन कुसआ निवासी बनारस पुलिस लाइन में तैनात हेड कांस्टेबल चंद्र प्रकाश ने कारबाइन से गोलियां मार कर रविवार रात हत्या कर दी थी। सफर में शिक्षक धर्मेंद्र कुमार के साथी बलिया के गांव कसोंद्र निवासी संतोष कुमार बेहद दुखी दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि वह करीब 1400 किमी की यात्रा कर पहुंचे थे। धर्मेंद्र कुमार ने अधिकांश सफर डीसीएम में आगे बैठ कर तय किया था। सफर में जब आराम करना होता था तब वह डीसीएम में पीछे चले जाते थे। यहां उत्तरपुस्तिकाओं के बंडल पर लेटकर आराम कर लेते थे।

बिजनौर में उत्तर पुस्तिकाएं उतारने के बाद जब डीसीएम चली तो धर्मेंद्र आराम करने की बात कहकर डीसीएम के पिछले हिस्से में ही चले गए थे। यहीं से शिक्षक और हेड कांस्टेबल के बीच मनमुटाव शुरू हुआ। डीसीएम मुजफ्फरनगर पहुंचा तो कुछ देर के लिए मृतक शिक्षक नीचे उतरे, लेकिन इसके बाद फिर नींद की बात कहकर सोने के लिए चले गए। कुछ देर बाद कहासुनी हुई और गोलियों की आवाज सुनाई दी, जिसमें शिक्षक की मौत हो गई।

डीसीएम में कौन कहां कर रहा था आराम

एसएसपी आवास के सामने खड़े डीसीएम के ड्राइवर वाले हिस्से में शिक्षक संतोष कुमार, एसआई नागेंद्र चौहान, चालक साधू यादव आराम कर रहे थे। जबकि उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल वाले हिस्से में शिक्षक धर्मेंद्र कुमार, हेड कांस्टेबल चंद्रप्रकाश व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जितेंद्र मौर्य व कृष्णकांत आराम कर रहे थे। 

कब नशा किया, पता नहीं चला

शिक्षक संतोष बताते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि हेड कांस्टेबल ने कब में नशा कर लिया, क्योंकि हर जिले में उत्तर पुस्तिकाएं उतारने में डेढ़-दो घंटे लग जाते हैं। इस दौरान हेड कांस्टेबल आदि खाना खाने के लिए इधर उधर चले जाते थे और वापस आने पर डीसीएम चल देती थी। शिक्षक धर्मेंद्र उनके पास डीसीएम में आगे बैठते थे। इसलिए हेड कांस्टेबल के नशे करने की जानकारी नहीं हो सकी