डीएलएड (बीटीसी) कॉपियों में हेराफेरी करने पर तीन प्रवक्ता निलंबित


कानपुर। डीएलएड (बीटीसी) प्रथम, तृतीय सेमेस्टर के अगस्त व सितंबर 2023 में हुए मूल्यांकन के अंक चिटों में हेराफेरी के आरोप में जांच के बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने तीन प्रवक्ताओं को निलंबित कर दिया गया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य ने इसकी पुष्टि की।



पूर्व में इस प्रकरण में परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने इसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश भी किए थे।


डायट प्राचार्य राजेश वर्मा ने बताया कि डायट प्रवक्ता अरुण विक्रम सिंह, इंदरजीत सिंह और संतोष कुमार सरोज को निलंबित कर दिया गया है। अरुण विक्रम सिंह को डायट जालौन से संबद्ध कर दिया गया है। शेष दो प्रवक्ताओं में एक को औरैया और दूसरे को कन्नौज से संबद्ध किया गया है। यह परीक्षा उप नियंत्रक, सह उप नियंत्रक और कोठार प्रभारी के पद पर थे। पहली जांच एसोसिएट डीआईओएस ने की थी।


जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) नरवल में 107 कॉपियों के अंकों में गड़बड़ी पाई गई थी। उत्तर पुस्तिकाओं के अंकों और डायट की अंक तालिका में चढ़े अंकों में भिन्नता मिली थी। आरोप लगाए गए थे कि इसमें 10 से 12 अंकों का हेरफेर किया गया है। इसके बाद एक जांच कमेटी गठित कर दी गई थी। जांच रिपोर्ट प्राधिकारी नियामक को भेज तो दी गई है लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।


नरवल डायट में वर्ष 2022 के पहले बैच की उर्दू, संस्कृत, शैक्षिक निर्देशन और गणित की कॉपियों का मूल्यांकन हो रहा था। यहां महाराजगंज, कुशीनगर व गोरखपुर समेत कई शहरों से कॉपियां आईं थीं। इनमें 107 कॉपियों में गड़बड़ी का संदेह जताया गया था। जांच के बाद संदेह सही पाया गया था। लंबे समय से जांच के बाद भी प्रकरण टल रहा था।


रजिस्ट्रार परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने डायट के उप शिक्षा निदेशक व प्राचार्य को पत्र भेजकर कहा था कि हेरफेर कर अंक बढ़ाने सम्बंधी घटित अपराधिक कार्य की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाए। बाद में तत्कालीन एससीईआरटी की निदेशक ने कानपुर दौरे के दौरान प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी।


प्रकरण तब खुला जब एक शिकायत दर्ज कराई गई। इसके आधार पर परीक्षकों से पूछताछ की गई। परीक्षकों से उत्तर पुस्तिकाओं और अंकतालिका में चढ़ाए गए अंकों की प्रतियां मंगाई गईं। इसे देखने के बाद स्पष्ट हो गया कि जो प्रतियां तैयार हुई हैं वह कूटरचित हैं। इसमें कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती के आधे दर्जन संस्थानों की कॉपियां थीं। सितंबर के पहले ही सप्ताह में स्पष्ट हो गया कि इसमें खेल किया गया है। इनमें डीएचई के मूल हस्ताक्षर भी नहीं पाए गए थे। मूल प्रतियां हटाकर इसके स्थान पर कूटरचित अंक चिटें लगा दी गईं थीं। कोठार को बिना कटिंग, बिना ओवर राइटिंग वाली प्रतियां भी दी गईं।