सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में ईडी ने दर्ज किया केस, जांच के दायरे में भर्ती बोर्ड के अधिकारी


लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरक्षी नागरिक पुलिस के 60,244 पदों पर सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज जांच शुरू कर दी है। यह केस यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किए मुकदमों के आधार पर दर्ज किया गया है। प्रदेस में पहली बार पेपर लीक कराने वाले किसी गिरोह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच हो रही है।



गौरतलब है कि 18 व 19 फरवरी को आयोजित इस परीक्षा का पेपर आउट हो गया था। शासन ने इसकी जांच एसटीएफ को सौंपी थी। सूत्रों के मुताबिक ईडी जल्द ही पेपर लीक करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड व अन्य सदस्यों से जेल में पूछताछ करेगी। वहीं, पेपर छापने ताली प्रिंटिंग प्रेस और ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालकों पर भी शिकंजा

S ईडी जल्द ही जेल में बंद सभी आरोपियों से करेगी पूछताछ

कसा जाएगा। बता दें कि जेल में बंद मुख्य आरोपी राजीव नयन मिश्रा, रवि अत्री, डॉ. शुभम मंडल, ट्रांसपोर्ट कंपनी के कर्मचारी शिवम गिरी, रोहित पांडेय, अभिषेक शुक्ला, दिल्ली पुलिस के सिपाही विक्रम पहल के साथ मध्य प्रदेश के रीवा के शिवशक्ति रिसॉर्ट और हरियाणा के मनेसर स्थित नेचर वैली रिसॉर्ट के मालिकों से पूछताछ होनी है।

दरअसल, एसटीएफ की जांच में सामने आया था कि दोनों रिसॉर्ट में सैकड़ों अभ्यर्थियों को बुलाकर पेपर पढ़वाया गया था। यह भी पता चला था कि ट्रांसपोर्ट कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत से राजीव नयन मिश्रा और रवि अत्री ने अहमदाबाद के वेयरहाउस में रखे पेपर के बक्सों को पीछे से खोलकर उनकी फोटो खींची थी, जिसे बाद में लाखों रुपये लेकर अभ्यर्थियों को



बेचा गया था। इसके लिए बक्सा खोलने के एक्सपर्ट डॉ. शुभम मंडल को पटना से बुलाया गया था। बता दें, इस गिरोह के सदस्य

यूपीटीईटी, आरओ/एआरओ परीक्षा, नीट पीजी, एसबीआई परीक्षा, एआईपीएमटी, हरियाणा की वेटनरी परीक्षा, एलटी ग्रेड परीक्षा और एनएचएम की नर्सिंग स्टाफ की भर्ती परीक्षा समेत दर्जनों प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर आउट करा चुके हैं।


जांच के दायरे में भर्ती बोर्ड के अधिकारी

इंडी की जांच के दायरे में उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अधिकारी भी आ सकते हैं। दरअसल प्रिंटिंग प्रेस का चयन बोर्ड के अधिकारियों ने किया था। पेपर छपने के बाद उसे अहमदाबाद में ट्रांसपोर्ट कंपनी के वेयरहाउस में रखा गया, जहां सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं थे।