जिन बच्चाें को स्कूल से लौटाया अब उनके घर जाएंगे शिक्षक

 बदायूं। बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से कक्षा एक के दाखिले को लेकर बार-बार आदेश बदल रहे हैं। इसका सीधा असर बच्चों की नामांकन संख्या पर पड़ रहा है, क्योंकि पहले आए एक अप्रैल तक के छह साल पूरा करने वालों के दाखिले का आदेश था। अब उसको एक जुलाई से कर दिया है। ऐसे में पहले शिक्षकों ने जिन बच्चों का दाखिला लेने से मना किया था। उनको वापस बुलाने जाना पड़ेगा।








नवीन शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है। नए दाखिले को लेकर काफी जोर है। परिषदीय स्कूलाें के शिक्षकों की तरफ से गांव-गांव रैली निकालकर कर लोगों को बच्चों के दाखिले के लिए जागरूक किया। शासन के निर्देशानुसार एक अप्रैल तक छह साल पूरा करने वालों का दाखिला लेना शुरू कर दिया। इस बीच काफी संख्या में ऐसे बच्चों भी स्कूल पहुंचे। जो एक अप्रैल के बाद छह साल की उम्र पूरी कर रहे थे। शिक्षकों ने उनका दाखिला करने मना कर दिया। इसको लेकर कुछ अभिभावक शिक्षकों से भिड़े भी, लेकिन शिक्षकों ने शासनादेश का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए।





अब शासन ने आदेश में बदलाव कर दिया है। इसके तहत 31 जुलाई को छह साल की उम्र पूरी कर रहे बच्चों के दाखिले लिए अब जाएंगे। ऐसे में कई शिक्षक असमंजस में हैं। उनका कहना है कि जिन बच्चों के अभिभावकों को मना कर दिया था। अब उनके पास जाकर दाखिला लेने के लिए बोलना पड़ेगा। इस संबंध में बीएसए स्वाति भारती ने बताया कि शासन के निर्देशों के पालन किया जाना है। जो भी आदेश जारी होता है। उसके बारे में शिक्षकों को अवगत कराया जाता है।





लगातार बदल रहे आदेशों की वजह से शिक्षक हो रहे गुमराह


उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव शर्मा कहा कि पहले एक अप्रैल तक छह साल पूरा करने वालों का एडमिशन होना था। अब 31 जुलाई तक छह साल पूरी करने वालों का एडमिशन होना है। ऐसे मेें बार-बार बदल रहे नामांकन आदेश से शिक्षकों को परेशानी हो रही है। इन आदेशों के वजह से बेसिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षक स्वयं भी गुमराह हो रहे हैं। ऐसे में शासन को कांवेंट स्कूलों से मुकाबला तो केवल एक सपने का सामान है। इससे नामांकन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।