बस्ती। अल्पसंख्यक संस्था खैर इंटर कॉलेज में एलटी ग्रेड के 21 शिक्षकों की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। नियुक्ति के बाद डीआईओएस कार्यालय से इसका वित्तीय अनुमोदन नहीं मिला था। डीआईओएस के आदेश के खिलाफ अभ्यर्थी कोर्ट गए थे।
प्रबंधकीय विवाद के कारण लंबे समय से भर्ती नहीं होने से वहां एक प्रधानाचार्य, एक प्रवक्ता व 29 सहायक अध्यापकों का पद रिक्त था। हमीदुल्लाह खान ने प्रबंधक बनने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की। प्रबंधक ने फरवरी 2018 में केवल प्रधानाचार्य के पद पर चयन किया लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की। इसी दौरान राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक संस्थाओं में भर्ती के लिए गाइड लाइन जारी करते हुए प्रबंधन की कथित मनमानी पर रोक लगा दी।
खैर कॉलेज में वर्ष 2019 में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई। मार्च 2019 को एलटी ग्रेड के 21 शिक्षकों की नियुक्ति की गई और मई 2019 में डीआईओएस कार्यालय में वित्तीय अनुमोदन के लिए सूची भेज दी गई। शिक्षकों को ज्वाइन भी करा दिया गया। डीआईओएस ने इस पर कोई आदेश पारित नहीं किया गया। डीआईओएस ने जुलाई 2019 में यह कहकर आदेश को अस्वीकृत कर दिया कि रिक्तियां समय सीमा के अंदर न भरे जाने के कारण लैप्स हो गईं। शिक्षा निदेशक से अनुमोदन के बाद ही इन पदों पर नियुक्ति की जा सकती है। प्रदेश सरकार की ओर से 12 मार्च 2018 के पारित आदेश के विपरीत ये नियुक्तियां हुई हैं। उनके इस आदेश के खिलाफ नियुक्त शिक्षक हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को निरस्त कर दिया। इस सम्बंध में प्रबंधक हमीदुल्लाह खान उर्फ बब्बू का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में जल्द ही याचिका दाखिल की जाएगी।

