टीईटी अनिवार्य होने के बाद शिक्षक पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गए हैं। कई शिक्षक अपने घरों को ही कोचिंग सेंटर में बदल चुके हैं। दिनभर स्कूल में पढ़ाने के बाद शाम को घंटों तक किताबों व नोट्स में डूबना अब उनकी दिनचर्या बन गई है। व्हाट्सएप ग्रुपों पर लगातार सामान्य ज्ञान, गणित, हिंदी और अन्य विषयों के प्रश्न व सामग्री साझा की जा रही है।
पांच साल से अधिक सेवा वाले शिक्षक सबसे कठिन स्थिति में
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि जिन शिक्षकों की नौकरी 5 वर्ष से अधिक हो गई है, उन्हें हर हाल में टीईटी उत्तीर्ण करना ही होगा, नहीं तो उनकी सेवा समाप्त हो सकती है। यहां तक कि पदोन्नति का आधार भी अब टीईटी क्वालिफिकेशन से जुड़ गया है। इस निर्णय से अनुभवी शिक्षकों के सामने बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि लंबे समय से पढ़ाते आ रहे शिक्षकों को अब खुद फिर से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ रही है।
जनवरी में संभावित परीक्षा
शासन ने 29 और 30 जनवरी को परीक्षा की संभावित तिथियाँ घोषित की हैं और आवेदन प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू होने वाली है। ऐसे में अब समय बेहद सीमित है। शिक्षक संगठनों ने अपील की है कि समय गँवाने के बजाय शिक्षक तुरंत सिलेबस के अनुसार तैयारी शुरू करें। उनका कहना है कि अगर गंभीरता और नियमितता से पढ़ाई की जाए तो परीक्षा पास करना कठिन नहीं है।
शिक्षामित्रों का अनुभव बढ़ा रहा चिंता
बीते वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश से सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को दोबारा शिक्षामित्र की भूमिका में लौटना पड़ा था। उस समय हजारों परिवार अस्त-व्यस्त हो गए थे। यही घटना आज भी शिक्षकों के मन में डर पैदा करती है। उनका मानना है कि इस बार कोई भी लापरवाही नौकरी छिनने का कारण बन सकती है।
मेहनत ही एकमात्र रास्ता
अधिकांश शिक्षकों का कहना है कि आंदोलन या विरोध से कोई लाभ नहीं होने वाला। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में बदलाव की संभावना लगभग न के बराबर है। इसलिए मेहनत और पढ़ाई ही विकल्प है। एक शिक्षक ने स्पष्ट कहा, “हमारे पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं—या तो परीक्षा पास करें, या फिर नौकरी जाने का जोखिम उठाएँ। यही वजह है कि पढ़ाई ही हमारी ढाल है।”