अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को लगातार oppress किया जा रहा है लेकिन क्या किसी संघ या दल ने आकर शिक्षकों के हितों में कोई बात रखी ?
काम को ससमय कराए जाने के दबाव में atrocities लगातार बढ़ती जा रही हैं और कई शिक्षक काल के गाल में बेसमय समा गए हैं , कल का बरेली का हादसा इतना निष्ठुर है कि छोटे छोटे बच्चों के सर पर माँ का साया पहले नहीं था और अब पिता का भी नहीं रहा (जितना जानकारी में मुझे बताया गया है) ।
वर्तमान सत्ता ने कोविड से हुई मौतों को नहीं स्वीकारा तो ये कैसे कह देंगे कि ये मृत्यु एसआईआर/बीएलओ कार्य से हुई है लेकिन क्या कोई संगठन (पैसे देकर लाशों पर टेंट लगाने वालों की बात नहीं कर रहा हूँ) या कोई भी सामाजिक दल इन demises के लिए चुनाव आयोग या वर्तमान सरकार से बात करेगा और इनके हक़ को सरकार से दिलाएगा ?
सरकार ने कल बीएलओ का honorarium दोगुना करके खूब सुर्खियां बनाई हैं लेकिन यही काम जो भी हज़ार रुपये में करने को तैयार है आगे आए और मेरे से मेरे कार्य के दो हज़ार ले , मृत्यु जो हुई हैं उनका हिसाब किसी के पास नहीं होगा ।
#rana
