प्रयागराज रंग-बिरंगी हुए वर्षों से सफेद रंग में पुते हरी पट्टी वाले प्राथमिक विद्यालय और लाल रंग की पट्टी वाले पूर्व माध्यमिक विद्यालयों की दीवारें बहुत कुछ कहती हैं। यह बदलाव का संकेत देती हैं। इसके सूत्रधार हैं गुरुजन। संदेश दे रहे हैं कि हम बंधन तोड़कर प्राथमिक शिक्षा के प्रति लोगों की सोच को बदल देंगे।
सकारात्मकता की उनकी इस पहल में सबसे अधिक योगदान इंटरनेट मीडिया का है। नियमित पठन-पाठन से आगे बढ़ते हुए कुछ शिक्षकों ने प्रदेश स्तर पर ‘मिशन शिक्षण संवाद परिवारÓ नाम से समूह बनाया है। सभी जिलों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक इसके सदस्य हैं। वह स्वेच्छा से निश्शुल्क बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आनलाइन करा रहे हैं। इसके उत्साहजनक नतीजे आने लगे हैं। सरकारी स्कूलों के तमाम विद्यार्थी निजी स्कूलों के बच्चों की तरह चमक बिखेर रहे हैं। संगमनगरी में मिशन शिक्षण संवाद परिवार की कोर कमेटी के सदस्य उच्च प्राथमिक विद्यालय सिरसा प्रतापपुर के शिक्षक राम लखन मौर्य बताते हैं कि आनलाइन पढ़ाई के दौरान कुछ बच्चे बहुत अच्छा रिस्पांस कर रहे थे। उनमें जानने और सीखने की ललक ने नए विचारों को जन्म दिया। लगा कि इन बच्चों के साथ मेहनत करने पर अच्छे नतीजे आएंगे। अन्य शिक्षकों से चर्चा कर प्रदेश स्तर पर ‘मिशन शिक्षण संवाद परिवारÓ का गठन हुआ। विद्यार्थियों के चयन के लिए नियमित कक्षाओं से हटकर ‘पढ़ाई से प्रतियोगिता तकÓ नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया गया। स्क्रीङ्क्षनग के बाद बच्चों को इसमें शामिल किया जाता है। उन्हें नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा के साथ सीबीएसई के पाठ्यक्रम व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। विद्यार्थियों को गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, सामान्य विज्ञान, हिंदी, तर्कशक्ति के साथ देश दुनिया की घटनाओं की भी जानकारी दी जा रही है। सप्ताह में पांच दिन पढ़ाई, दो दिन क्विज : विद्यार्थियों को विषय की तैयारी कराने के लिए पांच दिन पाठ्य सामग्री दी जाती है। दो दिन 50 प्रश्नों का क्विज होता है। रोचकता और ज्ञानवर्धन को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। महीने के अंत में मेगा क्विज होता है। इसमें पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को मिलाकर प्रश्नपत्र बनता है। उसके आधार पर विद्यार्थियों को अंक दिए जाते हैं। निरंतर अभ्यास और मूल्यांकन इस तैयारी का सूत्र है। क्विजेरिया, गूगल फार्म व वाट्सएप के माध्यम से प्रश्नपत्र बच्चों को उपलब्ध कराए जाते हैं।
सकारात्मकता की उनकी इस पहल में सबसे अधिक योगदान इंटरनेट मीडिया का है। नियमित पठन-पाठन से आगे बढ़ते हुए कुछ शिक्षकों ने प्रदेश स्तर पर ‘मिशन शिक्षण संवाद परिवारÓ नाम से समूह बनाया है। सभी जिलों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक इसके सदस्य हैं। वह स्वेच्छा से निश्शुल्क बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आनलाइन करा रहे हैं। इसके उत्साहजनक नतीजे आने लगे हैं। सरकारी स्कूलों के तमाम विद्यार्थी निजी स्कूलों के बच्चों की तरह चमक बिखेर रहे हैं। संगमनगरी में मिशन शिक्षण संवाद परिवार की कोर कमेटी के सदस्य उच्च प्राथमिक विद्यालय सिरसा प्रतापपुर के शिक्षक राम लखन मौर्य बताते हैं कि आनलाइन पढ़ाई के दौरान कुछ बच्चे बहुत अच्छा रिस्पांस कर रहे थे। उनमें जानने और सीखने की ललक ने नए विचारों को जन्म दिया। लगा कि इन बच्चों के साथ मेहनत करने पर अच्छे नतीजे आएंगे। अन्य शिक्षकों से चर्चा कर प्रदेश स्तर पर ‘मिशन शिक्षण संवाद परिवारÓ का गठन हुआ। विद्यार्थियों के चयन के लिए नियमित कक्षाओं से हटकर ‘पढ़ाई से प्रतियोगिता तकÓ नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया गया। स्क्रीङ्क्षनग के बाद बच्चों को इसमें शामिल किया जाता है। उन्हें नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा के साथ सीबीएसई के पाठ्यक्रम व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। विद्यार्थियों को गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, सामान्य विज्ञान, हिंदी, तर्कशक्ति के साथ देश दुनिया की घटनाओं की भी जानकारी दी जा रही है। सप्ताह में पांच दिन पढ़ाई, दो दिन क्विज : विद्यार्थियों को विषय की तैयारी कराने के लिए पांच दिन पाठ्य सामग्री दी जाती है। दो दिन 50 प्रश्नों का क्विज होता है। रोचकता और ज्ञानवर्धन को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। महीने के अंत में मेगा क्विज होता है। इसमें पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को मिलाकर प्रश्नपत्र बनता है। उसके आधार पर विद्यार्थियों को अंक दिए जाते हैं। निरंतर अभ्यास और मूल्यांकन इस तैयारी का सूत्र है। क्विजेरिया, गूगल फार्म व वाट्सएप के माध्यम से प्रश्नपत्र बच्चों को उपलब्ध कराए जाते हैं।
शिक्षक भी हो रहे अपडेट, दिया जाएगा प्रशिक्षण ‘मिशन शिक्षण संवाद परिवारÓ के जिला प्रभारी चाका विकासखंड के शिक्षक अंतरिक्ष शुक्ल के अनुसार यह समूह बच्चों के साथ शिक्षकों के लिए भी लाभकारी है। प्रत्येक शिक्षक अपने विषय को लेकर अपडेट रहते हैं। क्या और कैसे अध्यापन हो, इस संदर्भ में भी सामूहिक चर्चा की जाती है। िदसंबर में कार्यशााला आयोिजत की जाएगी।
पहले स्कूल के वाट्सएप ग्रुप से पढ़ते थे। बाद में अलग ग्रुप में पढ़ाई शुरू हुई। इसमें हर विषय का नोट्स मिलता। प्रश्न भी पूछे जाते। इसमें बहुत मजा आता। खुद से जो नहीं पढ़ पाते थे उसके बारे में बताया जाता। सर जी ने नवोदय का फार्म भरवाया और परीक्षा भी दिलाई। जो पढ़े थे उसी तरह के प्रश्न आए और हम पास हो गए। - अंशिका मौर्य, छात्रा, गोलवां गोठवां कोरोना के समय वाट्सएप पर पढ़ाई होती थी। मास्टर जी पहले नोट्स देते, फिर पेपर देकर सवाल भी पूछते। हर हफ्ते यह टेस्ट होता था। नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठने पर उसका बहुत फायदा मिला। बिना अलग से कुछ पढ़ाई किए हम पास हो गए। अब भी सर जी रोज नोट्स देते हैं। किताब की नई-नई चीज पढऩे को मिल रही है। - आकाश कुमार, छात्र, महुलिया