• पिछली बार प्रति प्रश्न आपत्ति करने पर लिए थे 500 रुपये
• इस बार निःशुल्क आपत्ति लेने के कारण बढ़ गई संख्या
• इस महीने में सभी आपत्तियों के निस्तारण का रखा लक्ष्य
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में 2003 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए तीन चरणों में आयोजित 47 विषयों की लिखित परीक्षा के प्रश्नों पर आई आपत्तियों ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अफसरों और कर्मचारियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। अभ्यर्थियों ने आयोग को आठ बोरा भरकर आपत्तियां भेज दी है जिसे छांटने में सभी स्टाफ, यहां तक की चपरासी को भी लगा दिया गया है। कई अभ्यर्थियों ने अपनी आपत्तियों के साक्ष्य के रूप में पूरी-पूरी किताब भेज दी है। इसके अलावा ई-मेल पर भी तकरीबन चार हजार आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। आयोग के समक्ष समस्या है कि साक्ष्य के रूप में मिले आठ बोरा सामग्री तब तक सुरक्षित रखना है जब तक कि परिणाम घोषित करने के बाद तक कि परिणाम घोषित करने के बाद ज्वाईनिंग न हो जाए। क्योंकि किसी प्रश्न का विवाद हाईकोर्ट में जाने पर अभ्यर्थी से प्राप्त साक्ष्य भी प्रस्तुत करना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार बहुत अधिक संख्या में प्रश्नों पर आपत्तियां आने का एक बड़ा कारण यह है कि आयोग ने आपत्तियां दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया था। पिछली भर्ती में प्रति प्रश्न पर आपत्ति के लिए 500 रुपये लिए गए थे। एक और प्रमुख कारण अनन्तिम उत्तरकुंजी में तीन बार संशोधन करना भी रहा। हालांकि अब आयोग ने पूरी ताकत आपत्तियों के निस्तारण में झोंक दी है।
सोमवार को हुई बैठक में अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने जनवरी अंत तक आपत्तियों के निस्तारण के आदेश दिए थे। विधानसभा चुनाव को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया तेज की गई है। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के लिए 99068 अभ्यर्थी पंजीकृत थे।