किताबें मिलने में देरी के लिए बेसिक शिक्षा परिषद और माध्यमिक शिक्षा परिषद के अफसर जिम्मेदार हैं। अप्रैल में सत्र शुरू होने के साथ ही बच्चों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए इन्हें टेंडर की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू करनी चाहिए थी। प्रक्रिया अप्रैल में शुरू की गई, जिस वजह से बच्चों को मजबूरन महीनों बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी होगी।
प्रयागराज | बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ हो गया है। लेकिन बच्चों को निःशुल्क किताबें नहीं मिल सकी हैं। जो स्थिति है उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि किताबें सत्र शुरू होने के चार महीने बाद अगस्त में मिल सकेंगी। प्रदेश के 1.50 लाख से अधिक परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के तकरीबन 1.90 करोड़ छात्र-छात्राओं को किताबें प्रकाशित कर वितरित करने के लिए चार मई तक प्रकाशकों से टेंडर मांगे गए हैं।
टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी किताबें तीन महीने में और वर्कबुक चार महीने में जिलों को भेजी जाएगी। यदि चार मई को भी टेंडर फाइनल हो जाता है तो किताबें अगस्त के पहले सप्ताह और वर्कबुक सितंबर के पहले सप्ताह तक बच्चों को मिलने की उम्मीद है। हिन्दी, अंग्रेजी व उर्दू माध्यम की क्रमशः 69, 39 व 32 किताबों और कार्यपुस्तिकाओं (वर्कबुक) का प्रकाशन होना है। तीन महीने बाद किताबें पाएंगे
यूपी बोर्ड के छात्र: प्रयागराज। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेशभर के 28 हजार से अधिक स्कूलों के कक्षा नौ से 12 तक के तकरीबन सवा करोड़ छात्र-छात्राएं शैक्षणिक सत्र 2022-23 एक अप्रैल को शुरू होने के तीन महीने बाद vec 15 किताबें पा सकेंगे। यूपी बोर्ड ने किताबों के प्रकाशन के लिए 11 मई तक टेंडर मांगे हैं। 12 मई को टेंडर खुलने के बाद कार्य आदेश जारी होगा। प्रकाशकों को 25 जून तक बाजार में किताबें उपलब्ध करानी होंगी। विभिन्न विषयों की कुल 67 किताबें प्रकाशित होनी हैं।