सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान किसी व्यक्ति के अपना व्यवसाय शुरू करने पर कोई रोक नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक वास्तविक आवश्यकता के आधार पर दुकान खाली करा सकता है।
इस मामले में मकान मालिक ने किराये के भुगतान में जानबूझकर चूक और खुद के उपयोग के लिए दुकान की आवश्यकता को आधार बनाकर किरायेदार की बेदखली की मांग की थी। मामला आंध्र प्रदेश भवन (पट्टा, किराया और बेदखली) नियंत्रण अधिनियम, 1960 का है।
मामले में किराया नियंत्रण अपीलीय प्राधिकरण ने किरायेदार को दुकान खाली करने का आदेश दिया था, जिसे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था।
आदेश को रद्द किया
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर और रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, उच्च अध्ययन करने वाले व्यक्ति के व्यवसाय शुरू करने पर कोई रोक नहीं है। पीठ ने कहा, अपीलीय प्राधिकरण ने पाया कि मकान मालिक व्यवसाय कर रहा था और अपने बच्चे के लिए व्यवसाय स्थापित करना चाहता था। पीठ ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण की ओर से दुकान खाली करने के आदेश को बहाल कर दिया।