हाईकोर्ट ने 20 तक रोकी निकाय चुनाव की अधिसूचना


हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर 12 दिसम्बर को लगाई गई रोक को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। साथ ही राज्य सरकार को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय, न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के सुरेश महाजन मामले के निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए जबकि इसे किए बिना 5 दिसम्बर 2022 को सरकार ने निकाय चुनावों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय पेश हुए। अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने हल़फनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, इस पर न्यायालय ने यह भी कहा कि आपको अब तक जवाब दाखिल कर देना चाहिए था।


किस प्रावधान के तहत जारी किया प्रशासकीय व्यवस्था का शासनादेश

सुनवाई के दौरान याची की ओर से अधिवक्ता शरद पाठक ने कोर्ट को बताया कि 12 दिसम्बर को राज्य सरकार द्वारा एक शासनादेश जारी करते हुए, जिलाधिकारियों को निकायों के कार्यकाल खत्म होते ही प्रशासनिक व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं से पूछा कि उक्त शासनादेश यूपी म्युनिसिपालिटी एक्ट के किस प्रावधान के तहत जारी किया गया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को जवाबी हल़फनामे में इसे स्पष्ट करने को कहा है।


सुनवाई में क्या
1. राज्य सरकार को हल़फनामा दाखिल करने का आदेश दिया

2. जवाब दाखिल करने में देरी पर हाईकोर्ट सरकार से नाराज

3. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सुरेश महाजन केस का हवाला दिया गया

4. ओबीसी आरक्षण से पहले ट्रिपल टेस्ट कराना जरूरी होगा

ट्रांसजेंडर आरक्षण के लिए याचिका
नगर निकाय चुनाव को लेकर अब तक 14 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। इन सभी को वैभव पांडेय की याचिका के साथ कनेक्ट कर दिया गया है। इन्हीं में से एक याचिका पिंकी किन्नर की ओर से भी दाखिल की गई है। उक्त याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मामले में दिए गए निर्णय के आलोक में ट्रांसजेंडर्स के लिए सीटों को आरक्षित की जाने की मांग की गई है। न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सभी याचिकाओं का उत्तर देते हुए राज्य सरकार एक जवाबी हल़फनामा दाखिल कर सकती है।