जैसा कि सभी को पता है कि कल विजेता वाली याचिका मा० इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ में लगी हुई थी जिसमें सरकारी अधिवक्ता ने ऊल जुलूल बातें करके कि RTI हमने ख़ारिज कर दी हैं कहकर याचिका को dimiss करने की बात कही थी जिस पर कोर्ट ने ख़ारिज का आदेश और दिशा निर्देश दिखाने को कहा था, ये तो था कल तक जिसका आदेश ये है आपके सामने।
विजेता वाले आदेश में कहा है कि जिस प्रकार पहले भी हमारे अधिवक्ता ने गौतमबुद्ध नगर का में तमाम vacancy (जिसको आदेश में mention किया है बक़ायदा ख़ाली पदों के साथ 655) और साथ ही तमाम जिलों की RTI भी दिखाई जिसको आदेश में mention किया गया है जिस पर सरकारी अधिवक्ता से ख़ाली पदों का ब्यौरा लाने को कहा है और दो सप्ताह बाद भी केस को फ़्रेश category में ही रखा है।
आज मेरी याचिका Himanshu Rana Vs State of UP लगी थी जिस पर हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता DP शुक्ला जी से कल देर रात तक VIDEO CONFERENCE पर ब्रीफ़िंग हुई और इनके RTI ख़ारिज करने के तोड़ को निकाला। आज सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को पुनः कहा कि RTI ख़ारिज कर दी हैं तो अब इनका LOCUS नही बनता है ये याचिकाएँ अब maintanable नहीं हैं जिस पर हमारे अधिवक्ता ने कहा ठीक है फिर शासन ने BSA से जो ख़ाली पद माँगे थे और गौतमबुद्ध नगर जहाँ शून्य रिक्तियाँ दिखा रहे हैं वहाँ का क्या यानी ये आदेश भी ख़ुद का ख़ारिज कर दिए हैं क्या ये उसका भी instruction माँगा जाये इनसे, सरकारी अधिवक्ता से बात न बनी तो कोर्ट ने कहा कि एक तो RTI ख़ारिज करने का आदेश और दूसरा ख़ुद जो शासन मँगा रहा है उसका आदेश सब पर विस्तृत दिशा निर्देश चाहिये और पुनः रिक्तियों का ब्यौरा (सम्पूर्ण UPS और PS) का table पर लाइये।
अब ये फँस गए हैं अगर शून्य जनपद यानी जो इन्होंने शून्य पद दिखाये हैं वे वाक़ई शून्य हैं तो हलफ़नामा दें कि वहाँ promotion और भर्ती कभी नहीं होंगी या फिर ये स्वीकार लें और जो लोग हमारे साथ जुड़े हैं उन्हें राहत प्रदान करें।
एक बात और कहना चाहता हूँ कि मेरे साथ जो लोग जुड़े हैं सब सुरक्षित हैं और सबको certified copy निकालकर दे दी जाती है लेकिन एक बात अब तक समझ नहीं आई कि केवल लखनऊ बेंच और वो भी हिमांशु राणा की ही याचिका में इतने लम्बे लंबवे आदेश क्यों हो रहे हैं ये सवाल उनसे है जो सुबह शाम याची लाभ के नाम पर धंधा बना लिये हैं जबकि लड़ने तक की तमीज़ नही है मैं शुरू से क़ह रहा हूँ कि लड़ाई लम्बी है और कुछ भी हो सकता है लेकिन जो लोग साथ जुड़े हैं उनके लिए ख़ुद प्रयासरत हूँ क्योंकि मुझे भी चाहिये, ख़ैर किसी की बुराई करके काम न कभी किया और न करूँगा। फ़िलहाल आप आदेश देखिये।
अब दशहरा की छुट्टी के बाद ही केस लगेंगे और मैं अपना कार्य बख़ूबी कर चुका हूँ।
धन्यवाद
Himanshu Rana