शिक्षकों की एनपीएस घपले के दोषियों को बचा रहे अफसर

 माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों और कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) घोटाले के दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई से जिम्मेदार अधिकारी कतरा रहे हैं।


निदेशक की सख्ती पर डीआईओएस ने दोनों कर्मियों को निलंबित कर दिया, लेकिन एक हफ्ते बाद भी एफआईआर नहीं करायी है। कासगंज के डीआईओएस ने सिर्फ 38 शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस घोटाले के दोषियों पर एफआईआर करा दी है। लखनऊ में 287 शिक्षक और कर्मचारियों का एनपीएस घोटाला है। वजीरगंज कोतवाली में दोनों कर्मचारियों के खिलाफ तहरीर दी, लेकिन अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। लखनऊ समेत 25 शहरों के शिक्षकों और कर्मचारियों की एनपीएस की राशि बिना बताए निजी बैंकों में निवेश कर दी। मामला सामने आने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 18 नवम्बर को संयुक्त शिक्षा निदेशक्र डीआईओएस को भेजे पत्र में एनपीएस घोटाले के दोषियों के खिलाफ निलंबन और एफआईआर दर्ज के निर्देश दिए थे। डीआईओएस ने दोषी वरिष्ठ सहायक निरीक्षक और कनिष्ठ सहायक को निलंबित कर दिया।


एनपीएस कटौती सूची जारी करें शिक्षक संघ


उप. माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने एनपीएस की धनराशि को निजी बैंक में निवेशित करने को शिक्षा विभाग का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। सरकार से एनपीएस घोटाले की जांच एसआईटी से कराए जाने की मांग उठायी है। उनका कहना है कि कासगंज में एफआईआर हो सकती है तो लखनऊ में क्यों नहीं करायी गई। यह धनराशि करोड़ों में है। अधिकारी फंसने के डर से इन कर्मचारियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।


मामला पकड़ में आने पर दोनों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। जांच के लिए कमेटी बनायी गई है। जांच अभी चल रही है। - डॉ. प्रदीप सिंह, संयुक्त निदेशक माध्यमिक


हम अवकाश पर गए थे। डीआईओएस की ओर से तहरीर दिये जाने की जानकारी नहीं है। अभी तक इस प्रकरण में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। - मनोज मिश्रा, इंस्पेक्टर, वजीरगंज