यूपी में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना जल्द , पीएचडी या यूजीसी नेट की अनिवार्यता नहीं होगी



लखनऊ। नई शिक्षा नीति के तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शुरू की गई प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गंभीर पहल की है। यूजीसी ने यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही इस मामले में प्रगति के बारे में जानकारी भी मांगी है।


योजना के तहत देश भर के विश्वविद्यालयों समेत 323 उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के रूप में छात्रों को पढ़ाने के लिए अब तक विभिन्न क्षेत्रों के 10062 विशेषज्ञों ने पंजीकरण कराया है। इनमें उद्योग, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य व कला के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं। यूजीसी ने पिछले मई माह में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पंजीकरण पोर्टल शुरू किया था। इस पर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में महारत रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल शिक्षण के लिए पंजीकृत करा सकते हैं।


यूजीसी ने पहले ही उच्च शिक्षण संस्थानों को नियुक्ति के संबंध में अपने नियमों व अध्यादेशों में आवश्यक परिवर्तन करने का सुझाव दिया था। इनकी नियुक्ति अधिकतम चार साल के लिए की जा सकती है। हाल ही में यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के अनुसार वर्चुअल संवाद करके इस योजना के बारे में प्रगति के बारे में जानकारी ली थी। इसमें बताया गया कि आईआईटी दिल्ली ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त की है।


पीएचडी या यूजीसी नेट की अनिवार्यता नहीं होगी

यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति से संबंधित फैसला लेने के लिए राज्य विश्वविद्यालय स्वयं सक्षम हैं।

-एमपी अग्रवाल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा


प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वह लोग हो सकते हैं, जो अपने मूल व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी निर्धारित योग्यता है। विश्वविद्यालय उनके व्यापक प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को ऐसे विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है।