बाराबंकी। शिक्षा प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में अपार आईडी कार्ड (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) बनाने की पहल की गई है। जिले के 4,200 से अधिक स्कूलों में 6.5 लाख से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत हैं। लेकिन दो माह से चल रही प्रक्रिया के बावजूद भी स्कूलों में अपार आईडी जनरेट करने का काम धीमा है।
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इसे देखते हुए 28 जनवरी को डीएम शशांक त्रिपाठी ने कड़े निर्देश जारी करते हुए पांच फरवरी तक सभी स्कूलों को विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेट करने के निर्देश दिए थे। अभी तक करीब 2.47 लाख विद्यार्थियों की अपार आईडी कार्ड बनाना शेष है। मात्र एक दिन में इतने बच्चों की आईडी बनाना असंभव लग रहा है।
इससे पहले डीआईओएस और बीएसए ने सख्त निर्देश जारी किए थे कि पांच फरवरी तक हर हाल में सभी विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेट हो जानी चाहिए। चेतावनी दी है कि अगर तय समय सीमा में यह काम पूरा नहीं हुआ तो संबंधित विद्यालयों की मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी स्कूलों के 40,000 बच्चों की नहीं बनी आईडी
जिले के 2.72 लाख विद्यार्थी परिषदीय विद्यालयों में पढ़ते हैं। लेकिन इन स्कूलों के भी 15 फीसदी छात्रों की अपार आईडी जनरेट नहीं हो सकी है। बीएसए संतोष देव पांडेय ने बताया कि अपार आईडी एक राष्ट्रीय पहल है। जो स्कूल इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
तकनीकी दिक्कतें व अस्पष्ट प्रक्रिया बनी बाधा
कई विद्यालयों में तकनीकी दिक्कतें, डेटा फीडिंग में देरी और प्रक्रिया को लेकर स्पष्टता की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि अपार में अभिभावक की आईडी भी जरूरी है। कई अभिभावकों के पास आधार ही नहीं हैं।