सीतापुर स्कूल जोड़ीकरण विवाद: हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक, तीन विशेष अपीलों की संयुक्त सुनवाई 21 अगस्त को
लखनऊ, 24 जुलाई 2025:
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में चल रहे विद्यालयों के जोड़ीकरण (School Pairing/Merger) के विवाद में नया मोड़ आया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दिनांक 21 अगस्त 2025 तक के लिए अंतरिम यथास्थिति (Status Quo) बनाए रखने का आदेश दिया है। यह निर्देश विशेष अपील संख्या 222/2025, 223/2025 एवं 228/2025 की संयुक्त सुनवाई के दौरान पारित किया गया।
सीतापुर जिले में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों को जोड़ीदार स्कूल के रूप में मर्ज किया जा रहा है। इस प्रशासनिक निर्णय को लेकर छात्रों और उनके अभिभावकों ने आपत्ति जताते हुए उच्च न्यायालय की शरण ली। उनका मुख्य तर्क यह है कि यह नीति 'निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009' (RTE Act) की धारा 6, जो पड़ोस (neighbourhood) में स्कूल की उपस्थिति की गारंटी देती है, का उल्लंघन है, और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21-क में दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार के भी प्रतिकूल है।
पहले इन याचिकाओं को एकल न्यायाधीश द्वारा 07 जुलाई 2025 को खारिज कर दिया गया था, जिसके विरुद्ध छात्रों और अभिभावकों ने उपरोक्त तीन विशेष अपीलें दायर की हैं।
मुख्य न्यायाधीश श्री अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति श्री जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने पाया कि एकल पीठ के समक्ष राज्य सरकार ने विधिवत कोई प्रत्युत्तर हलफनामा (counter affidavit) दाखिल नहीं किया था। मात्र कुछ प्रशासनिक कार्यवृत्त प्रस्तुत किए गए थे, जिनमें न्यायालय द्वारा स्पष्ट विसंगतियाँ पाई गईं।
राज्य सरकार ने अब एक नया हलफनामा दाखिल कर उन दस्तावेजों को पुनः प्रस्तुत किया है और विसंगतियों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। न्यायालय ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अपीलकर्ताओं को उसका उत्तर दाखिल करने का अवसर प्रदान किया।
कु. गुलाबसा बानो (CWSN – विशेष आवश्यकता वाली छात्रा) की ओर से दायर अपील संख्या 228/2025 को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर उस हिस्से को खारिज कर दिया। शेष अपीलों (222/2025 व 223/2025) से इसे संलग्न कर दिया गया है।
इन अपीलों को अब 21 अगस्त 2025 को नवीन सूची में प्रस्तुत किया जाएगा। तब तक, सीतापुर जिले में विद्यालय जोड़ीकरण की वर्तमान स्थिति बनी रहेगी (Status Quo)। यह आदेश नीति की वैधता या गुणवत्ता पर कोई अंतिम टिप्पणी नहीं करता, बल्कि यह एक अंतरिम संतुलनात्मक निर्देश है।
इस याचिका में केवल छात्रगण एवं उनके अभिभावकगण पक्षकार हैं; शिक्षकों अथवा कर्मचारी संगठनों की कोई भागीदारी नहीं है। याचिकाकर्ताओं का मुख्य उद्देश्य अपने बच्चों की सुलभ, समीपवर्ती एवं समावेशी शिक्षा के अधिकार की रक्षा करना है।
यह मामला अब सिर्फ सीतापुर तक सीमित नहीं रहेगा। उच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ और अंतरिम आदेश अन्य जनपदों में भी विद्यालयों के जोड़ीकरण के विरुद्ध उठ रही आवाज़ों को कानूनी बल प्रदान कर सकते हैं।