आयोग के गठन के दो साल बाद भी परीक्षाएं लंबित, नई भर्तियों का भी अतापता नहीं
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन को दो साल हो गए हैं। आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय को कार्यभार ग्रहण किए 10 माह से अधिक हो चुका है, जबकि आयोग के 12 सदस्यों की नियुक्ति तो अध्यक्ष से पहले मार्च-2019 में ही कर दी गई थी।
आयोग के गठन की तैयारी वर्ष 2022 में ही शुरू कर दी गई थी। गठन के नाम पर अशासकीय विद्यालयों में टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों एवं अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई थी।
टीजीटी-पीजीटी परीक्षाएं तीन बार स्थगित की जा चुकी हैं। इसकी
वजह से फॉर्म भरने वाले 13.19 लाख अभ्यर्थी परेशान हैं। हद तो तब हो गई जब आयोग ने बिना कोई नोटिस जारी किए टीजीटी परीक्षा स्थगित कर दी, जिसके लिए 8.69 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं।
टीजीटी-पीजीटी परीक्षा कब होगी, इस पर आयोग ने अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है। वहीं, 16 और 17 अप्रैल 2025 को हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम भी अब तक घोषित नहीं किया गया है।
परीक्षा में गड़बड़ी आने के बाद शासन ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया था, जिसकी निगरानी में
परीक्षा परिणाम तैयार किया जाना है। आयोग नई भर्ती शुरू करने में भी अब तक विफल रहा है।
बुधवार को छात्र प्रतिनिधिमंडल की बैठक में प्रतियोगी छात्रों ने ये सभी मुद्दे उठाए और कहा कि आयोग जब अपने गठन के उद्देश्य को ही पूरा नहीं कर पा रहा है तो वह किस काम का है।
मांग की गई कि आयोग टीजीटी-पीजीटी भर्ती परीक्षा की तिथि व असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करे और नई भर्ती भी शुरू करे। बैठक में शीतला प्रसाद ओझा, सचिन शुक्ला, अनीता तिवारी और महेंद्र पाल आदि मौजूद रहे।