27 July 2025

बच्चों को दूषित हवा से नहीं बचा सकती बंद खिड़की

 


लंदन, एजेंसी। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में बढ़ता प्रदूषण चिंता का कारण है। खासकर वायु प्रदूषण जिससे फेफड़ों की बीमारी का जोखिम सबसे ज्यादा बताया गया है। एक नए अध्ययन के अनुसार सेंसर या फिल्टर लगाकर भी हवा में मौजूद दूषिण कणों में मात्र 29 फीसदी की ही कमी की जा सकती है।


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ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने लंदन के स्कूलों में चलने वाली कक्षाओं को मॉनिटर किया। वायु प्रदूषण बढ़ने के कुछ दिनों का असर सालभर की कक्षा में होने वाली कुल प्रदूषण की मात्रा के 17% के लिए जिम्मेदार थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान छह फीसदी कक्षाओं में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक मिला। यहां तक कि वायु प्रदूषण से छात्रों को बचाने के लिए जिन स्कूलों में खिड़कियां बंद करने का आदेश दिया गया था।


वहां भी खास फर्क नहीं दिखा। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि बंद कक्षाओं में कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2)की मात्रा में इजाफा देखा गया। यह अध्ययन इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में चलाए जा रहे प्रोजेक्ट साम्हे (स्कूल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग फॉर हेल्थ एंड एजुकेशन)के तहत किया गया।


अध्ययन के लेखक डॉ. एलिस हैंडी ने बताया कि सिर्फ वेंटिलेशन को बंद करने से प्रदूषित कण (पीएम2.5) कक्षा में आने से नहीं रुकते।

भारत के स्कूलों में किए जाते हैं उपाय

सर्दी के समय जब स्मॉग बढ़ जाता है तब भारत सरकार की ओर से बच्चों और बुजुर्गों के लिए खास तौर पर एडवायजरी जारी की जाती है। एक्यूआई 400 या उससे अधिक होने पर सभी स्कूलों के लिए भी एहतियात के निर्देश जारी होते हैं।

● स्कूल बंद कर दिए जाते हैं या ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाती है


● बच्चों को एन95 मास्क पहनने की सलाह दी जाती है।


● स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा के लिए एयर प्यूरीफायर लगाए जाते हैं


● बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी पर रोक लगा दी जाती है।


● अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि बच्चों को बाहर खेलने न भेजें व घर के भीतर वेंटिलेशन सही रखें ।