केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश जारी किया है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता के अनुसार स्कूलों और बच्चों से संबंधित सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण, और परामर्श एवं सहकर्मी नेटवर्क के माध्यम से मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
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अनिवार्य रूप से सुरक्षा ऑडिट करें
मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देश में कहा गया है कि बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्कूलों और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता और आपदा प्रबंधन के दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए। निर्देश के मुताबिक अग्नि सुरक्षा, आपातकालीन निकास और विद्युत तारों के साथ-साथ संरचनात्मक ढांचे का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें निकासी अभ्यास, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हैं। स्थानीय अधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियां) के साथ सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल आयोजित किया जा सके।
राजस्थान के मंत्री ने हादसे की जिम्मेदारी ली
जयपुर/झालावाड़। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने झालावाड़ स्कूल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी ली, साथ ही उन्होंने राज्य के अन्य असुरक्षित भवनों की मरम्मत के काम में तेजी लाने का संकल्प लिया। शिक्षा मंत्री ने बताया कि मंत्रालय को उपलब्ध कराई गई जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवनों की सूची में इस स्कूल का नाम नहीं था, जिससे यह लापरवाही हुई। वहीं, अपनों को खोने वाले झालावाड़ के गांव पिपलोदी में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने की घटना में अपने बेटे और बेटी को खोने के गम से बदहवास मां ने कहा, ‘मेरा सबकुछ लुट गया। मेरे दो ही बच्चे थे। दोनों चले गए। मेरा घर सूना हो गया। मेरे आंगन में खेलने वाला कोई नहीं बचा। बाकी बच्चों के परिजनों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। नेता राहुल गांधी ने मामले की जांच कराने और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की।