27 August 2025

फर्जी अभिलेखों पर बने प्राचार्य, जांच शुरू हुई

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 49 के तहत चयनित प्राचार्यों के अभिलेखों की जांच शुरू हो गई है। नियमानुसार चयनित प्राचार्यों के पदस्थापन के बाद वेतन जारी करने से पहले प्रबंधकों को संबंधित प्राचार्य के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना चाहिए। जबकि उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से पांच अक्टूबर 2021 को चयनित प्राचार्यों को कार्यभार ग्रहण कराने के चार साल बाद भी तमाम प्राचार्यों के अभिलेखों का सत्यापन नहीं हुआ है।



आरोप है कि इस भर्ती के तकरीबन 70 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने कई स्तर पर कूटरचना करके फर्जी अभिलेख और शोध अनुभव तैयार किया तथा उसके आधार पर चयनित हो गए। यही कारण है कि मानव संपदा पोर्टल पर इनकी शैक्षणिक सूचनाएं अपलोड नहीं की गई हैं। उरई के सलिल कुमार तिवारी की शिकायत पर उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने 31 मार्च 2025 को भी जांच रिपोर्ट मांगी थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।


अब 14 अगस्त को संयुक्त निदेशक डॉ. शशि कपूर ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर चयनित प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराकर उसकी समेकित आख्या मांगी है।


गौरतलब है कि प्राचार्य के 290 पदों के प्रति 630 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए सफल हुए थे। 20 मार्च से 12 अगस्त 2021 तक आयोजित साक्षात्कार में 526 अभ्यर्थियों ने प्रतिभाग किया था। इस दौरान 100 से अधिक प्राचार्य अपने मूल महाविद्यालयों में लौट गए हैं और उनकी जगह कार्यवाहक कार्यरत हैं।