01 October 2025

टीईटी अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे शिक्षक संगठन, 1.86 लाख अध्यापक प्रभावित

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने पर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने विरोध तेज कर दिया है। प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका के बाद अब यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) समेत कई शिक्षक संगठन भी सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुँचे हैं।

यूटा ने दाखिल की याचिका

यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि संगठन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें 2017 में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है। इस संशोधन के तहत सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए नये मानकों के अनुरूप न्यूनतम अर्हता अनिवार्य की गई थी। यूटा का तर्क है कि यह संशोधन न केवल असंवैधानिक है बल्कि शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

उन्होंने कहा कि कई ऐसे शिक्षक हैं जो टीईटी के लिए आवेदन करने के पात्र ही नहीं हैं। जिनकी नियुक्ति 2001 से पहले इंटर और बीटीसी योग्यता पर हुई थी या जो मृतक आश्रित कोटे में आए हैं, वे इसकी परीक्षा नहीं दे सकते। ऐसे में पूर्व में नियुक्त शिक्षकों को राहत मिलनी चाहिए।

आंदोलन की चेतावनी

यूटा के पदाधिकारी सतेंद्र पाल सिंह ने कहा कि संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ सड़क पर भी आंदोलन करेगा। जल्द ही बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। उनका कहना है कि इस फैसले से प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षामंत्री को पत्र भेजकर पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की है।

अन्य संगठनों की पहल

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ (तिवारी गुट) भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल कर चुका है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि इस अवसर पर एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।

इसी बीच उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि उनका संगठन भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा। इसके लिए आगामी 5 अक्तूबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में विभिन्न राज्यों के शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है। इसमें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यदि तब तक केंद्र सरकार सकारात्मक पहल नहीं करती है, तो व्यापक आंदोलन और दिल्ली कूच की तिथि तय की जाएगी।

झारखंड सरकार का रुख

जहाँ उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के पक्ष में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, वहीं झारखंड सरकार ने ऐसा न करने का निर्णय लिया है। झारखंड सरकार का कहना है कि अधिकतर मामलों में सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका खारिज कर देता है। इसलिए शिक्षकों को सलाह दी गई है कि वे टीईटी की तैयारी करें क्योंकि अब उन्हें साल में दो बार परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।