नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड के खर्च घटाने और फीस ढांचे को पारदर्शी बनाने के लिए प्रस्ताव रखा है। इसके तहत कंपनियों को निवेशकों से वसूले जाने वाले शुल्क का पूरा ब्योरा पहले ही देना होगा। इसका मकसद निवेशकों को कम खर्च में बेहतर रिटर्न दिलाना है।
सेबी ने कुल खर्च अनुपात में कटौती का सुझाव दिया है। यह वो खर्च होता है, जो म्यूचुअल फंड कंपनी निवेशकों से फंड प्रबंधन और संचालन के लिए वसूलती है। इसमें अन्य शुल्क भी शामिल होते हैं। सेबी ने इसे कम करने का प्रस्ताव दिया है। नियामक ने साफ किया कि ब्रोकरेज, टैक्स और अन्य लेनदेन शुल्क को इस मद में शामिल नहीं किया जाएगा, इन्हें अलग से बताया जाएगा। फीस घटने से निवेशकों को सीधा फायदा होगा।
यदि किसी निवेशक ने ₹10 लाख का निवेश म्यूचुअल फंड में किया है और उसका मौजूदा टोटल एक्सपेंस रेशियो (टीईआर) 1.75% है। सेबी का प्रस्ताव लागू होने पर इसमें 0.15% से 0.25% तक की कटौती हो सकती है। इससे निवेशक को सालाना ₹1500 से 2500 रुपये की बचत होगी।

