लखनऊ, । डिग्री कॉलेज व विश्वविद्यालयों के शिक्षक-कर्मचारियों के लिए 15 साल पहले मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा देने का प्रस्ताव तैयार हुआ था, मगर वह अभी तक लागू नहीं हो पाया। 25 हजार शिक्षक-कर्मियों को अभी तक इसका लाभ नहीं मिला। अब कैशलेस उपचार की घोषणा दो महीने पूर्व हुई लेकिन अभी तक प्रस्ताव नहीं तैयार हुआ।
वर्ष 2010 में बसपा सरकार में शिक्षकों व कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा देने की घोषणा की गई थी। इंश्योरेंस कंपनी का नाम भी तय हो गया था और 1700 रुपये वार्षिक प्रीमियम पर तीन लाख रुपये तक मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा देने का प्रस्ताव था। जिसमें शिक्षक के साथ उनकी पत्नी व दो बच्चों को शामिल किया गया था। उच्च शिक्षा विभाग ने शिक्षक संगठनों के साथ बैठक की और कुछ संगठनों ने सुझाव दिया कि अगर सरकार चाहे तो शिक्षक को एक रुपया भी किश्त नहीं देनी होगी। जिलों में शिक्षक संगठन शिक्षक वेलफेयर फंड से भी इस रकम का भुगतान किया जा सकता है। हालांकि, इस पर कुछ संगठन तैयार नहीं थे लेकिन शिक्षक किश्त देने को भी तैयार थे। फिलहाल
शिक्षक व कर्मचारियों को इसका लाभदिलाने की घोषणा अमली जामा नहीं पहन सकी।
उप्र शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि अब फिर सरकार ने कैशलेस इलाज की सुविधा देने की घोषणा की है। बीते दो महीने से प्रस्ताव तैयार नहीं हो पाया है। ऐसे में फिर इस बार शिक्षक व कर्मचारियों को यह सुविधा मिल पाएगी इस पर संशय है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह दूसरे राज्य कर्मियों की तरह डिग्री कॉलेज व विश्वविद्यालय शिक्षकों को भी यह सुविधा जल्द दें।

