नई दिल्ली। पहली से आठवीं कक्षा पर के वर्ष 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए अनिवार्य शिक्षक और पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के मुद्दे पर बुधवार को एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में शिक्षक संगठनों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र और प्रधान से मुलाकात की। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को शिक्षकों की मांग पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उधर, शिक्षक संगठनों ने कहा है कि वे बृहस्पतिवार को जंतर-मंतर पर अपना विरोध भी दर्ज करवाएंगे।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सह संयोजक अनिल यादव ने बताया, एनसीटीई के गलत फैसले
से 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। इसमें सबसे अधिक यूपी के 1.86 लाख शिक्षक भी शामिल हैं। सालों सेवाएं देने के बाद अचानक एक फैसले से उनकी पढ़ाने की काबलियत पर सवाल उठ गए हैं। जबकि समय-समय पर विभिन्न राज्यों के प्रदेश शिक्षा विभाग शिक्षकों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए ट्रेनिंग देता रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री से शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर आदेश में संशोधन की मांग रखी है। प्रतिनिधि मंडल में
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बासवराज गुरिकर, सह संयोजक योगेश त्यागी, विनय तिवारी, उमाशंकर सिंह, संदीप पवार समेत अन्य मौजूद रहे।
बच्चों को पढ़ाएं या अपनी परीक्षा की तैयारी करेंः इनका कहना है, वर्ष 2011 से पहले भर्ती होने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी की कोई अनिवार्य शर्त नहीं थी। यदि होती तो वे उस समय अनिवार्य पात्रता परीक्षा का पास करते।

