12 December 2025

मातृभाषा के आधार पर दूसरी भारतीय भाषा सीखना होगा और सरल — शिक्षा नीति के बाद बड़ा कदम

 मातृभाषा के आधार पर दूसरी भारतीय भाषा सीखना होगा और सरल — शिक्षा नीति के बाद बड़ा कदम

नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद केंद्र सरकार अब उच्च शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल कर रही है। पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के साथ–साथ, अब कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कार्यरत युवाओं को अपनी मातृभाषा या अध्ययन–माध्यम के अलावा कम से कम एक अतिरिक्त भारतीय भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

इसी उद्देश्य से केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु ने मिलकर ‘भाषा सागर’ एप और स्वयं पोर्टल पर विशेष भाषाई कोर्स तैयार किए हैं। इनका लक्ष्य संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं को एक साझा मंच पर उपलब्ध कराना है।


‘भाषा सागर’ ऐप: घर बैठे सीखें 22 भारतीय भाषाएं

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यह मोबाइल एप एंड्रॉयड उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है और बेहद सरल इंटरफ़ेस के साथ किसी भी भारतीय भाषा को सीखने में मदद करता है।

  • उपयोगकर्ता अपनी मातृभाषा चुनकर दूसरी भाषा पढ़ना, लिखना और बोलना सीख सकते हैं।

  • ऐप में फोनेटिक रिकॉर्डर जैसी सुविधा भी है, जिससे सही उच्चारण का अभ्यास संभव होता है।

इस एप में हिंदी, असमी, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली—इन 22 भाषाओं के लिए 30–40 विस्तृत पाठ दिए गए हैं। प्रत्येक पाठ में लगभग 1500–1600 आम शब्द और वाक्य संरचनाएँ शामिल हैं।


भाषाई एकता से जुड़ेगा देश — ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में कदम

केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के निदेशक प्रो. शैलेंद्र मोहन के अनुसार, भारत की विविध भाषाएँ ही उसकी सांस्कृतिक शक्ति हैं। प्रत्येक भाषा के प्रति सम्मान और आपसी समझ राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपने ‘एक भारत–श्रेष्ठ भारत’ अभियान के तहत भाषाई संवाद को विशेष महत्व देते हैं।

इसी सोच के परिणामस्वरूप मेडिकल, इंजीनियरिंग और कई अन्य उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम अब भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


लुप्तप्राय व जनजातीय भाषाओं के संरक्षण में भी सक्रिय भूमिका

यह संस्थान केवल मुख्य 22 भाषाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की कई लुप्तप्राय और जनजातीय भाषाओं के लिए भी विशेष पाठ्यक्रम, डिजिटल सामग्री, बाल साहित्य और मशीन लर्निंग टूल विकसित कर रहा है।

  • एनसीईआरटी और राज्य शिक्षा परिषदों के साथ मिलकर बच्चों के लिए द्विभाषिक बालवाणी पुस्तिकाएँ तैयार की गई हैं।

  • काशी–तमिल संगमम् जैसे आयोजनों में विभिन्न भाषाओं को सीखने के लिए डिजिटल व मुद्रित सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।


स्वयं पोर्टल पर उपलब्ध भाषा-कोर्स: सीखते ही मिलेंगे अकादमिक क्रेडिट

नई शिक्षा नीति के तहत कई विश्वविद्यालयों ने अतिरिक्त भारतीय भाषा सीखना अनिवार्य किया है। इसे देखते हुए स्वयं पोर्टल पर 12-सप्ताह के क्रेडिट कोर्स तैयार किए गए हैं, जिन्हें भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु ने विकसित किया है।

इन कोर्सों के माध्यम से विद्यार्थी—

  • भाषा की मूल संरचना,

  • पढ़ना–लिखना,

  • तथा बोलचाल की अभिव्यक्तियाँ सीखते हैं।

परीक्षा पास करने पर उन्हें अकादमिक क्रेडिट मिलता है, जो उनकी डिग्री में जोड़ा जाता है।
वर्तमान में कन्नड़, मलयाली, उड़िया, बांग्ला, मराठी और पंजाबी भाषाओं के कोर्स उपलब्ध हैं।
जनवरी से तमिल, तेलुगु, संथाली, असमिया, मणिपुरी, डोगरी, गुजराती और मैथिली भी शामिल की जाएँगी।