परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ली जाएगी रिटायर शिक्षकों की मदद-एक साल की संविदा और 2500 रुपये


परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए रिटायर शिक्षकों की मदद ली जाएगी। उन्हें मेंटर बनाते हुए रिटायर शिक्षकों का एक शिक्षक साथी समूह बनाया जाएगा। इन्हें 2500 रुपये मोबिलिटी भत्ता दिया जाएगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस संबंध में गुरुवार को आदेश जारी कर दिया।

उन्होंने बताया कि बीते दिनों नई दिल्ली में हुई एक बैठक में शिक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के मुताबिक रिटायर शिक्षकों की मदद लेने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत रिटायर शिक्षकों से शिक्षक साथियों का एक समूह बनाया जाएगा जो स्कूलों के सहयोगात्मक पर्यवेक्षण और लर्निंग आउटकम के सापेक्ष बच्चों में सीखने के स्तर को बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

मिलेंगे 2500 रुपये प्रतिमाह
यह शिक्षक साथी और कोई भी काम नहीं करेंगे। इस काम के लिए इन्हें 2500 रुपये प्रतिमाह की दर से मोबिलिटी भत्ता दिया जाएगा। अन्य किसी प्रकार का कोई भत्ता या मानदेय देय नहीं होगा। प्रेरणा एप की रिपोर्ट के आधार पर ही भत्ता देय होगा। इन शिक्षक साथियों का कार्यकाल एक वर्ष का होगा और हर वर्ष परफॉर्मेंस के आधार पर इसका नवीनीकरण किया जाएगा। इन शिक्षक साथियों को न्यूनतम 30 स्कूलों का ऑनलाइन सपोर्टिव सुपरविजन प्रेरणा ऐप के माध्यम से करना होगा और इसकी रिपोर्ट जिला समन्वयक प्रशिक्षण के माध्यम से बीएससी और डायट प्राचार्य को भेजी जाए।

कैसे होगा चयन

शिक्षक साथी के चयन के लिए विज्ञप्ति का प्रकाशन किया जाएगा। इसमें परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक या प्रधानाध्यापक के रूप में न्यूनतम पांच वर्ष तक शिक्षण अनुभव रखने वाले रिटायर शिक्षक आवेदन कर सकेंगे। रिटायर होने से 70 वर्ष की आयु तक आवेदन किया जा सकेगा। राज्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी। हर ब्लॉक या नगर क्षेत्र में चयन की अधिकतम संख्या का निर्धारण नहीं किया गया है, सभी योग्य शिक्षक आवेदनकर्ताओं को शामिल किया जा सकता है। जनपदीय चयन समिति द्वारा आवश्यकता आधारित ब्लॉकों का आवंटन किया जाएगा।




क्या करना होगा

शिक्षक साथी दीक्षा और रीडर लॉन्ग आपके प्रयोग के लिए बच्चों को प्रेरित करेंगे। वही बच्चों की प्रार्थना सभा, बैठक व्यवस्था, समय सारिणी का इस्तेमाल, बाल संसद, मीना मंच, पुस्तकालय आदि के लिए व्यवस्था देखेंगे। जेंडर समानता, जीवन कौशल शिक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, बाल अधिकार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श कर शिक्षकों को संवेदनशील बनाएंगे।