जिले में बच्चों को मिलने वाला मध्याह्न भोजन योजना का कन्वर्जन कास्ट स्कूलों को जुलाई तक भेज दिया गया है। कोरोना काल के दौरान बच्चों की चौथे चरण की प्रतिपूर्ति बकाया है। इस दौरान शिक्षकों को उपभोग प्रमाण पत्र भी प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करना है। ऐसे में शिक्षक दुकान से उधार लेकर बच्चों को दोपहर का गरमा गरम भोजन करा रहे हैं।
शासन स्तर से तीन से चार महीने पर स्कूलों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत बजट प्राप्त होता है। शिक्षक किराना की दुकानों से उधार लेकर बच्चों को गरमा गरम भोजन बनवा कर खिलाने का काम करते हैं। जिले के स्कूलों को पिछले अप्रैल महीने में कन्वर्जन कास्ट प्राप्त हुआ था। इसके बाद जुलाई महीने में प्राप्त हुये बजट से विभाग ने जुलाई तक का कन्वर्जन कास्ट भेज दिया। वहीं सितंबर तक स्कूलों का खाद्यान्न मिल चुका है। कोरोना काल के दौरान चौथे चरण की प्रतिपूर्ति अभी बच्चों को नहीं मिल सकी है। विभाग द्वारा कक्षा एक से पांच तक प्रति छात्र 4.97 रूपये तथा कक्षा छह से आठ के बच्चों के लिए प्रति छात्र 7.45 रूपये कन्वर्जन कास्ट प्राप्त होता है। वहीं प्राथमिक स्तर पर 100 ग्राम तथा जूनियर स्तर पर 150 ग्राम प्रति छात्र के हिसाब से खाद्यान्न प्राप्त होता है। इन रूपये व खाद्यान्न से शिक्षक भोजन बनवा कर खिलाते हैं।
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जिले में 3.79 लाख बच्चों को शिक्षक दोपहर का गरमा गरम भोजन कराते हैं। बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित परिषदीय स्कूलों के अलावा एडेड स्कूलों, मदरसा, संस्कृत बोर्ड के स्कूल, कस्तूरबा, आश्रम पद्वति विद्यालय आदि स्कूलों में नामांकित बच्चों को माध्याह्न भोजन योजना के तहत दोपहर में मैन्यू के अनुसार गरमा गरम भोजन प्राप्त होता है। बच्चों को भोजन के अलावा सप्ताह में एक दिन दूध, मौसमी फल आदि भी मुहैया कराया जाता है।
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स्कूलों को जुलाई तक कन्वर्जन कास्ट तथा सितंबर तक खाद्यान्न मुहैया करा दिया गया है। शिक्षकों को प्रतिपूर्ति बच्चों के खाते में भेजने का निर्देश दिया गया है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
-कमलेंद्र कुमार कुशवाहा, बीएसए