सरकारी चिकित्सकों की सेवानिवृत्त आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की तैयारी है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर करने में इससे मदद मिलेगी। वहीं सरकारी सेवा में आने वाले नये चिकित्सकों को प्रोबेशन (परिवीक्षा) अवधि में अब उच्च शिक्षा के लिए लंबी अवधि का अवकाश देने का प्रस्ताव शीघ्र मंजूर होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में चिकित्सकों की अधिवर्षिता (सेवानिवृत्ति) आयु में वृद्धि किए जाने के निर्देश दिए। चिकित्सकों को पुनर्नियोजित करने के नियमों को और बेहतर करने को कहा। इस बैठक में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
प्रशासनिक पदों पर इसका लाभ नहीं दिया जाएगा एक बड़े अधिकारी का कहना है कि अभी कई राज्यों में यह व्यवस्था लागू है। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर भी 62 वर्ष की आयु के बाद प्रशासनिक पदों पर इसका लाभ नहीं दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता रखना है।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब तक सरकारी चिकित्सकों को सेवा में आने पर दो साल प्रोबेशन अवधि के दौरान उच्च शिक्षा के लिए असाधारण अवकाश नहीं मिल पाता था। इसकी वजह से एमबीबीएस करने के बाद तमाम चिकित्सक सरकारी सेवा में आने से बचते रहे हैं। लोक सेवा आयोग को जितने पदों का अधियाचन भेजा जाता रहा है, उतने चिकित्सक नहीं मिल पाते थे। इस व्यवस्था से चिकित्सक सरकारी सेवा में आने में अधिक रुचि लेंगे।