राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बढ़ सकती है अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में तैनात शिक्षको की मुसीबत


प्रतापगढ़। पांच वर्ष पहले तीन चरणों में परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बदला गया था। कान्वेंट स्कूलों के पढ़े-लिखे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षको को उस समय लिखित व मौखिक साक्षात्कार लेकर चयनित किया गया था लेकिन इन स्कूलों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी।


अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक स्कूलों में कक्षा पाँच तक पढ़ाई कर आगे उच्च प्राथमिक स्कूल में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई भी वह इसी माध्यम से करें। इसकी व्यवस्था नहीं की गई। स्कूल आस-पास न होकर बहुत दूर-दूर होने के कारण अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालयों से पढ़कर निकले छात्र आगे हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने को मजबूर है। कई अंग्रेजी माध्यम के उच्च प्राथमिक स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके आये विद्यार्थी भी प्रवेश ले रहे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की माने तो मातृ भाषा पर विशेष जोर दिया गया है।



महानिदेशक स्कूल शिक्षा के यह आदेश कि प्राइमरी स्कूलों में अब हिंदी माध्यम से पढ़ाई होगी को लेकर अब ऐसे शिक्षको के सामने समस्या आ गयी। जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में मनचाही पोस्टिंग ले बैठे थे। दूर-दराज के स्कूलों में बैठे शिक्षक अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बहाने अपने घरों के पास पहुंच गए थे।



सचिव बेसिक शिक्षा परिषद कार्यालय से जारी आदेश पर गौर करे तो अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में जिन शिक्षको की तैनाती की गई थी वह स्थायी तौर पर नहीं बल्कि उन्हें अंग्रेजी विषय संचालन के लिए की गई थी। बीएसए द्वारा जारी आदेश में उन्हें नियमित तैनाती दी ही नही गयी थी। ऐसे में उन शिक्षको में हड़कंप का माहौल साफ-साफ दिखाई दे रहा है। वहीं पहले से तैनात हिंदी माध्यम के शिक्षको की उसी विद्यालय में तबादले की आस पुनः से जग गयी।