जौनपुर: माध्यमिक विद्यालयों में सेवा दे रहे चार सौ तदर्थ शिक्षकों की नौकरी संकट मंडरा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इन शिक्षकों को नौकरी से निकालने का आदेश शासन स्तर से आ गया है। इनमें बहुत से शिक्षक 1993 से सेवा दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षकों को टीजीटी और पीजीटी की परीक्षा पास करने का आदेश दिया था। लेकिन ये परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। अधिकांश ने परीक्षा ही नहीं दी थी।
ऐसे हुई थी तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति
वित्त पोषित माध्यमिक विद्यालयों में छह अगस्त 1993 को शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार प्रबंधकों से हटाकर आयोग को दे दिया। उसके बाद 24 जनवरी 1999 तक चयन समिति के माध्यम से धारा 18 के तहत और कठिनाई निवारण अध्यादेश के तहत प्रबंध समितियों द्वारा तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की गई। ऐसे शिक्षकों को उच्च न्यायालय के आदेश या धारा 18 के तहत भुगतान किया जा रहा है। सूबे में ऐसे शिक्षकों को विनियमित करने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक 15 साल से अनवरत संघर्ष करते आ रहे थे। लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने 22 मार्च 2016 को शासनादेश जारी कर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने का शासनादेश जारी कर दिया। आदेश जारी होने के बाद कुछ शिक्षकों को तो विनियमित कर दिया गया, लेकिन अधिकांश शिक्षक अड़चनों के कारण विनियमित नहीं हो पाए थे