इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित की अनुकम्पा नियुक्ति मामले में पारिवारिक विवाद की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि जहां पारिवारिक विवाद के कारण कई दावेदार हों तो सबसे उपयुक्त सदस्य की सशर्त नियुक्ति की जाए और इसे टाला न जाए अन्यथा आश्रित नियुक्ति योजना का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
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कोर्ट ने कहा कि आश्रित नियुक्ति में विलंब योजना के उद्देश्य में बाधक है। इसलिए विभाग दावे प्रतिदावे पर विचार कर सुयोग्य व सही आश्रित की बाध्यकारी शर्तों के साथ नियुक्ति करे। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने नैना गुप्ता की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित नियुक्ति सीधी भर्ती में शामिल हुए बगैर सरकारी नौकरी पाने की योजना है, जो कर्मचारी की अचानक मृत्यु के बाद परिवार पर आई आपदा से राहत देती है। ऐसे में परिवार के सदस्यों के बीच विवाद पर दायित्वों के अधीन सबसे उपयुक्त आश्रित की नियुक्ति की जाए। इसमें अनावश्यक देरी न की जाए।