● लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने लगाई रोक
● सौ से अधिक बच्चे वाले स्कूलों का भी विलय किया गया था
● ´सरकार के रिकॉर्ड में विसंगतियां मिलने पर कोर्ट का अंतरिम आदेश
● न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि तय की
● अपीलों पर पिछले तीन दिनों से प्रतिदिन सुनवाई हो रही थी।
लखनऊ, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए सीतापुर जनपद में स्कूलों के विलय/ पेयरिंग संबंधित कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से हलफनामे के साथ दाखिल रिकॉर्ड में स्पष्ट तौर पर कुछ विसंगतियां पाई गई हैं। लिहाजा अग्रिम सुनवाई तक सीतापुर जनपद के संबंध में चल रही कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि तय कर अपीलार्थियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सीतापुर के स्कूली बच्चों की ओर से उनके अभिभावकों द्वारा दाखिल दो विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। अपीलों में एकल पीठ के सात जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें स्कूल विलय करने के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें सीतापुर में स्कूलों के विलय/पेयरिंग के संबंध में कुछ डाटा प्रस्तुत किए गए।
याचिकाकर्ताओं की दलील
अपीलार्थियों के अधिवक्ता एलपी मिश्रा और गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि सरकार के हलफनामे से पता चलता है कि कई ऐसे भी स्कूल हैं, जहां बच्चों की संख्या 100 या उससे अधिक है, फिर भी विलय/पेयरिंग किया जा रहा है। कोर्ट ने भी इन विसंगतियों के बाबत सरकार के वकीलों को स्पष्ट करने को कहा।
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अदालत के निर्देश
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि इंगित विसंगतियों को समझाने का प्रयास किया गया है, वहीं अपीलार्थियों द्वारा उक्त हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय की भी मांग की गई है, ऐसे में सीतापुर जनपद में चल रही कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेश का अर्थ यह नहीं है कि हम संबंधित नीति या कार्यान्वयन के गुण दोष पर टिप्पणी कर रहे हैं।