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मतलब हद नहीं है, स्वयं सोचिए।
RTE अधिनियम बनने से पहले भी विद्यालयों की दूरी एक किलोमीटर ही थी, और एक किलोमीटर की परिधि में नगण्य संख्या में ही विद्यालय संचालित थे और जो विद्यालय उस समय थे, उन्हें इन लोगों ने आते ही कंपोजिट बना दिया।
तो अब प्रश्न यह उठता है कि आख़िर वे कौन से विद्यालय हैं जिन्हें ये बंद करने की बात कर रहे हैं?
अब आते हैं दूसरी बात पर — यदि सरकार कहती है कि 50 से अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालय बंद नहीं होंगे,
तो फिर RTE के उस मानक को ये ‘धता’ क्यों बता रहे हैं जिसमें स्पष्ट रूप से हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक की व्यवस्था की बात कही गई है?
यह सब सरकार का केवल झोल है, क्योंकि विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है और वहाँ विपक्ष की संख्या लगभग 125–135 तक पहुँच चुकी है। इससे पहले कि वहाँ भारी हंगामा हो, सरकार डैमेज कंट्रोल करना चाहती है।
अब आप स्वयं सोचिए — क्या ये दोनों बातें तार्किक नहीं हैं?
इसलिए कहता हूँ लड़ाई लम्बी है और इनके आदेश को रद्द करवाना है
लड़ेंगे और जीतेंगे
#rana