03 September 2025

01 सितंबर को भारत के सुप्रीमकोर्ट का ऐसा निर्णय आता है जिसके तहत देश के लाखों-लाख प्राइमरी शिक्षकों के सामने अंधेरा ही अंधेरा छा जाता है✍️ पढ़ें

 

*01 सितंबर को भारत के सुप्रीमकोर्ट का ऐसा निर्णय आता है जिसके तहत देश के लाखों-लाख प्राइमरी शिक्षकों के सामने अंधेरा ही अंधेरा छा जाता है,*


कोर्ट का आदेश आता है कि अब भारत देश में कक्षा 1-8 तक का शिक्षण कार्य करने वाला कोई भी शिक्षक बिना TET के सेवा में नहीं रह सकता है, फिर वो शिक्षक चाहे Rte एक्ट (01 अप्रैल2010) लागू होने से पहले का नियुक्त हो या उसके बाद का। यदि वो दो वर्ष के अंदर TET नहीं पास करते हैं तो उनकी सेवा को समाप्त कर दिया जाएगा अर्थात उन्हें वापस घर भेज दिया जाएगा।


निर्णय इतना सख्त, अव्यवहारिक एवं असंवेदनशील कि सुनते ही प्रभावित शिक्षकों के होश उड़ गए, कितना तो सुनते ही अवसादग्रस्त हो गए। ऐसा लगा मानो प्रभावित शिक्षकों एवं उनके परिवार को किसी यात्रा में गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में ट्रेन से जबर्दस्ती उतार दिया जाए और कह दिया जाए आपने जो टिकट लिया था सरकार ने उसे अवैध घोषित कर दिया है।


इस आदेश को सुनने के पश्चात बड़े-बड़े विधिवेत्ताओं के साथ ही सामान्य आमजन भी कहने लगे कि ये कैसा आदेश है? यह न्याय नहीं अपितु खुलेआम न्याय की हत्या है। भला 25 वर्ष पूर्व चयनित शिक्षकों को आज के चयन अहर्यता के आधार पर अयोग्य कैसे ठहराया जा सकता है। हमारा कानून सभी भारतवासी को जीविकोपार्जन करने व उनके जीविकोपार्जन के अधिकार की रक्षा करता है न कि छिनता है!


आखिर जब शिक्षक भर्ती निकली थी तो उस समय उस भर्ती की जो सेवा शर्तें थी अभ्यर्थियों ने उसको पूरा किया और उसके आधार पर उनका चयन हुआ है, विगत 20-25 वर्षों से वो अपनी निर्बाध सेवा दे रहे हैं और अब उन्हें कहा जा रहा कि वर्तमान में शिक्षक भर्ती की जो शर्तें हैं आप उसको पूरा करो नहीं तो आपको अयोग्य घोषित करते हुए आपकी सेवा को समाप्त कर दिया जाएगा।


👉 लेकिन भारत सरकार के 09 अगस्त 2017 का एक अमेंडमेंट जब वायरल हुआ तो शिक्षकों के होश उड़ गए, कि आखिर सरकार ने इतना बड़ा अमेंडमेंट देश की आम जनता व उससे प्रभावित होने वाले शिक्षकों से छुपा कर क्यों रखा ❓


साथियों सुप्रीमकोर्ट ने शिक्षकों के खिलाफ भारत के इतिहास का अबतक का सबसे कठोर, अव्यवहारिक, असंवेदनशील नौकरी छीनने का आश्चर्यचकित कर देने वाला जो आदेश पारित किया है वास्तव में उसके मूल में "भारत सरकार का 9 अगस्त 2017 का यह अमेंडमेंट है" जिसे अभी तक पब्लिक से छिपाकर रखा गया था, जिसकी वजह से ही सुप्रीम कोर्ट को ऐसा कठोर निर्णय लेना पड़ा।


भारत सरकार के 2017 के इस अमेंडमेंट के नियम के सेक्शन 23(2) कहलाता है, को केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2017 को समाप्त कर उसका नया proviso बना दिया है।


जिसमें स्पष्ट लिखा है कि अब भारत में प्राइमरी स्तर (1-8) तक कोई भी शिक्षक बिना TET के सेवा में नहीं रह सकता है, ऐसे शिक्षक जो सेवा में हैं और TET पास नहीं हैं वो चाहे जब के नियुक्त हैं उन्हें किसी भी दशा में इस अमेंडमेंट( अगस्त 2017) के चार वर्ष के अंदर अर्थात (अगस्त 2021) के अंदर TET पास ही करना होगा अन्यथा वो सेवा के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे और उन्हे हटा दिया जाएगा।


मजे की बात है कि भारत सरकार ने ये संसशोधन कर दिया था और राज्य सरकारों को भेजा था लेकिन न भारत सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने इसको पब्लिक किया।


सोचिए कि भारत सरकार एवं राज्य सरकार ने शिक्षकों के साथ कितना बड़ा छल किया..??


जबकि उपरोक्त अमेंडमेंट में साफ-साफ लिखा है कि 31 मार्च 2015 तक जो भी शिक्षक नियुक्त है उनको टेट पास करना जरूरी है । 


*आखिर क्यों देश की जनता एवं इससे प्रभावित होने वाले शिक्षकों से Rte 2017 एक्ट को छिपाया गया था❓*


लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार जनता के लोककल्याण के लिए कार्य करती है, सरकारें पूरी संवेदनशीलता व प्रतिबद्धता के साथ जनता के सेवा को सुरक्षा प्रदान करती है न कि उल्टे उससे उसके जीविकोपार्जन को छीनने का खड्यंत्र करें।


आखिर किस नैतिकता नियम की कसौटी पर यह काननू बनाया जा रहा है कि 25 वर्ष पूर्व सेवा शर्तों को पूरा कर चयनित हुए शिक्षकों को आज के सेवा शर्त को पूरा करना पड़ेगा नहीं तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और उनके जीविकोपार्जन के अधिकार की हत्या कर दी जाएगी।


इसलिए मेरा स्पष्ट मानना है कि RTE एक्ट 2017 को बिना निरस्त किए कोई बात नहीं बनेगी, और इसको निरस्त करने का अधिकार भारत सरकार को ही है। 



अतः हम सभी की भारत सरकार से विनम्र निवेदन है कि देश के लाखों-लाख शिक्षकों के साथ न्याय किया जाए, आप ही का दिया हुआ दर्द है आपको ही दवा देनी है।

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