1 अप्रैल 2019 के बाद जिन शिक्षकों ने RTE Act, 2009 के अनुसार न्यूनतम योग्यता पूरी नहीं की होगी, उन्हें नौकरी जारी रखने की अनुमति नहीं होगी।
उनके खिलाफ नौकरी से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
यह आदेश संसद ने आरटीई अधिनियम की धारा 23(2) में संशोधन पारित किया है जिसके अनुसार minimum qualifications की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 तक कर दिया गया है।
यह अब सर्वविदित है कि 3 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार द्वारा एक पत्र सभी राज्य सरकारों को भेजा गया था।
लेकिन अफसोस की बात है कि अधिकांश राज्य सरकारें और विशेषकर उत्तर प्रदेश के अधिकारी उस समय सुप्तावस्था (लापरवाही) में रहे। परिणामस्वरूप आज इसके गलत और दुष्परिणाम सामान्य शिक्षक भुगत रहा है।
जो शिक्षक पहले से नौकरी पर हैं, उन्हें तुरंत नौकरी से नहीं हटाया जाएगा।
ऐसे शिक्षकों को 2 साल का समय दिया गया है कि वे टीईटी (TET) परीक्षा पास कर लें।
अगर शिक्षक 2 साल के भीतर TET पास कर लेते हैं तो उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी।
अगर शिक्षक 2 साल के भीतर TET पास नहीं करते तो उन्हें नौकरी से हटाया जा सकता है।
तमिलनाडु और महाराष्ट्र के शिक्षकों से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है।
यह निर्णय सिर्फ तमिलनाडु और महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश के शिक्षकों पर लागू होगा।
मेरा मानना है कि इस विषय पर केंद्र सरकार से गुहार लगाने हेतु सभी राज्य सरकारों को एकजुट होकर मांग करनी चाहिए।
लाखों-लाख शिक्षकों की अजीविका पर संकट है, इसलिए आवश्यक है कि सरकार इस मामले को त्वरित रूप से संज्ञान में ले।
केंद्र को चाहिए कि वह संशोधन कर पूर्व में बनाए गए नियमों को लागू करे, ताकि शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रह सके।
यदि हमारी आवाज़ पर सरकारें ध्यान नहीं देती हैं, तो अब समय आ गया है कि समस्त देश के शिक्षक एकजुट हों।
आवश्यकता पड़ने पर हम मोरचा बनाएँ और शांति पूर्वक विरोध भी करें, ताकि हमारी न्यायसंगत मांग पूरी हो सके।
#rana