27 September 2025

पदोन्नति एवं समायोजन प्रकरण : तथ्य और याचिकाएं ✍️ हिमांशु

 

पदोन्नति एवं समायोजन प्रकरण : तथ्य और याचिकाएं



1. दाखिल याचिकाएं

 • Writ A 523/2024

यह याचिका तब दाखिल की गई जब सरकार TET उत्तीर्ण किए बिना पदोन्नति देने जा रही थी।

 • न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि केवल TET उत्तीर्ण शिक्षकों की ही पदोन्नति की जाए और सरकार से जवाब तलब किया।

 • Writ A 10581/2025

यह याचिका तब दाखिल हुई जब सरकार ने हेडमास्टर (प्राइमरी) को सरप्लस घोषित कर ATUPS पद पर समायोजित कर दिया।

 • परिणामस्वरूप:

 1. हेडमास्टर के पद समाप्त कर दिए गए।

 2. ATUPS के पद भी भर दिए गए।

 • इससे TET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की पदोन्नति के अवसर समाप्त हो गए।

 • याचिका में हमारी माँगें:

 • सभी विद्यालयों में हेडमास्टर पद की बहाली।

 • प्रत्येक कक्षा में न्यूनतम एक शिक्षक की नियुक्ति।

 • हेडमास्टरों का किया गया समायोजन निरस्त हो।

 • TET उत्तीर्ण याचियों की पदोन्नति सुनिश्चित की जाए।



2. हमारा पक्ष

 • हेडमास्टर का पद पहले भी था और RTE लागू होने के बाद भी होना चाहिए। PTR की गलत व्याख्या से इन्हें खत्म करना अनुचित है।

 • इंचार्ज हेडमास्टर अस्थायी व्यवस्था है, जबकि पदोन्नति स्थायी अधिकार है। इंचार्ज का लाभ कभी भी समाप्त हो सकता है, लेकिन पदोन्नति से स्थायी लाभ व आगे का प्रमोशन दोनों सुनिश्चित होते हैं।



3. पात्रता

 • प्राथमिक से पदोन्नति हेतु:

 • 5 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण + TET उत्तीर्ण होना आवश्यक।

 • अपर प्राथमिक (ATUPS) से पदोन्नति हेतु:

 • 3 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण होना आवश्यक।

 • 69000 भर्ती वाले शिक्षक (जिनका 5 वर्ष का सेवाकाल पूरा नहीं हुआ है) अभी याचिका से नहीं जुड़ सकते।



4. वरिष्ठता और TET का महत्व

 • भविष्य में वरिष्ठता सूची में TET का कॉलम होगा।

 • उदाहरण: यदि सूची में

 • क्रम संख्या 1 पर गैर-TET

 • और क्रम संख्या 2 पर TET उत्तीर्ण है,

तो पदोन्नति का अधिकार क्रम संख्या 2 वाले को ही मिलेगा।



5. क्यों जुड़ें हमारे साथ?

 • प्रदेश में कई संगठन हैं, लेकिन वे केवल चंदा लेते हैं और औपचारिक धरना/ज्ञापन देकर रुक जाते हैं। वास्तविक समस्या का हल वहीं मिलता है जहाँ हम सीधे न्यायालय में लड़ाई लड़ते हैं।

 • हमारी लड़ाई आपकी और हमारी साझा समस्या है। आप सभी के सहयोग से ही अदालत में मजबूती से पक्ष रखा जा सकता है।

 • पहले भी न्यायालय ने केवल याचियों को अंतरिम राहत दी (जैसे वेतन/इंचार्ज हेड का लाभ), पर अंतिम निर्णय सामान्यत: सभी पर लागू होता है।

 • इसलिए जो अभी जुड़ेंगे, वे प्रत्यक्ष लाभ भी पाएंगे।



यह लड़ाई सिर्फ कागज़ी नहीं, बल्कि भविष्य की स्थायी पदोन्नति और हक की बहाली के लिए है।


✍️हिमांशु राणा