लखनऊ। आधा सत्र बीत गया 9वीं से 12वीं तक उच्चीकृत कस्तूरबा विद्यालयों का अब तक संचालन ही नहीं शुरू हो सका है। कारण न शिक्षक हैं और न ही अन्य तकनीकी व प्रशासनिक स्टाफ। नतीजा, ज्यादातर उच्चीकृत विद्यालयों में नवीन चयन हो ही नहीं पाया है। ऐसे में बालिकाओं को कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षिकाएं ही इन्हें अभी पढ़ा रही हैं।
दर्जनों जिलों में बिना पढ़ाए ही बालिकाएं किसी प्रकार 10वीं में पहुँच गई हैं जबकि सैकड़ों केजीबीवी में पूरा स्टाफ तैनात न होने से तीन रसोइयों के जिम्मे 150 से ज्यादा बलिकओं का खाना बनाने की जिम्मेदारी है। यह स्थिति बरेली, अमेठी समेत पांच दर्जन से अधिक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में है।
वर्तमान में प्रदेश में कक्षा 6 से 8 तक के केजीबीवी की संख्या 746 है। इनमें से 95 का उच्चीकरण पूर्ण हो चुका है जबकि 63 का अब संचालन तक शुरू नहीं हो सका है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों की बालिकाओं को निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत मूल रूप से कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा दी जाती थी, लेकिन समग्र शिक्षा अभियान के तहत इन्हें उच्चीकृत (अपग्रेड) कर कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का निर्णय किया गया। स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी को 28 जून 2024 को ही मंजूरी भी प्रदान कर दी है लेकिन 10 जिलों को छोड़कर अभी भर्ती प्रक्रिया पूरी ही नहीं हुई है।
साल भर बाद भी नहीं भरेे पद
उच्चीकृत केजीबीवी में प्रधानाचार्या, पीजीटी हिन्दी, पीजीटी गणित, पीजीटी अंग्रेजी, पीजीटी जीव विज्ञान, पीजीटी रसायन विज्ञान, पीजीटी भौतिक विज्ञान, पीजीटी कंप्यूटर विज्ञान, चपरासी, चौकीदार, रसोइयों के चयन की मंजूरी महानिदेशक ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी को 28 जून 2024 को दिया था लेकिन 10 जिलों को छोड़कर अभी भर्ती प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई जबकि बरेली, अमेठी, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर से प्राप्त सूचना के अनुसार वहां उच्चीकृत केजीबीवी की बालिकाएं इस समय क्लास 11 में जा चुकी हैं।