19 November 2025

किशोरों को यौन स्वास्थ्य शिक्षा न देने पर हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र पर लगाया 15-15 हजार का जुर्माना

 

लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने किशोर बच्चों को यौन स्वास्थ्य शिक्षा देने में केंद्र और राज्य सरकारों की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने दोनों सरकारों से जवाब न दाखिल करने पर 15-15 हजार रुपये हर्जाना लगाने के साथ ही तीन सप्ताह में राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।


पहले, इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि इसके लिए आम जागरूकता पैदा करने को क्या किया। कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। इसके तहत राज्य के सहायक सचिव प्रेम चंद्र कुशवाहा ने हलफनामा दाखिल किया। जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और हलफनामा दाखिल करने वाले अफसर को 15 हजार बतौर हर्जाना,

कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया।


न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने यह आदेश नैतिक पार्टी की ओर से विनोद कुमार सिंह व एक अन्य की जनहित याचिका पर दिया। याचिका में केंद्र सरकार की किशोरावस्था शिक्षा योजना-2005 को पर्याप्त जागरूकता के साथ प्रदेश में लागू करने का आग्रह किया गया था।


याचियों के अधिवक्ता चंद्र भूषण पांडेय का कहना था कि 10 से 18 साल की किशोरावस्था में बच्चों में कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। ऐसे में यौन स्वास्थ्य व प्रजनन को लेकर उनका सही मार्गदर्शन करने के लिए किशोरावस्था शिक्षा योजना 2005

स्कूलों-कॉलेजों में प्रभावी ढंग से लागू करने की व्यवस्था की है।


इसके बावजूद प्रदेश में यह योजना प्रभावी ढंग से लागू नहीं की गई। अधिवक्ता ने योजना को प्रदेश में समुचित तरीके से अमल में लाने

के निर्देश राज्य सरकार को देने की गुजारिश की थी।


कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।