उन्नाव। परिषदीय शिक्षकों के समायोजन से जुड़े मामले में उच्च न्यायालय ने समायोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। नए विद्यालयों में कार्यरत जिन शिक्षकों ने अपने समायोजन को बचाने के लिए रिट याचिका दायर की थी, उन्हें न्यायालय ने अंतरिम स्टे प्रदान किया है। अदालत ने टिप्पणी की है कि शिक्षकों की कोई गलती नहीं है, उन्होंने केवल विभागीय आदेशों का पालन किया है।
मालूम होकि जुलाई 2025 में बेसिक शिक्षा सचिव ने शिक्षकों का समायोजन किया गया था। शिक्षकों को पुराने विद्यालयों से कार्यमुक्त कर सक्षम अधिकारी ने नए स्कूलों में कार्यभार ग्रहण कराया था। कई स्कूलों के एकल शिक्षक बनने की आपत्ति पर विभाग ने स्पष्ट किया था कि जहां शिक्षामित्र हैं वह पूर्ण एकल विद्यालय नहीं माने जाएंगे। बाद में महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने वीसी के माध्यम से सभी बीएसए को निर्देश दिया था कि समायोजित शिक्षकों को हर स्थिति में नए स्कूल में कार्यभार ग्रहण कराया जाए। एकल स्कूलों में समायोजन की तीन प्रक्रिया के माध्यम से नए शिक्षक भेजे जाएं। इसी बीच, कुछ जिलों में बीएसए द्वारा समायोजित शिक्षकों की वापसी के आदेश जारी कर दिए गए। इन वापसी आदेशों को चुनौती देते हुए जिले के 15 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में कहा कि इससे नए विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और शिक्षक मानसिक व पारिवारिक रूप से अस्थिर होंगे।
12 नवंबर को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने वापसी आदेशों पर फिलहाल रोक लगाते हुए कहा कि पूर्व में भी कई विद्यालय एकल बने हैं जहां एक सहायक शिक्षक और एक से अधिक शिक्षामित्र कार्यरत रहते हैं। अतः उन्हें पूर्ण एकल विद्यालय नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि समायोजन-3 प्रक्रिया पहले से प्रारंभ है और एकल विद्यालयों में नए अध्यापकों की तैनाती की जा रही है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संजीव संखवार ने इसे शिक्षकों के लिए राहत भरा बताया।

