संख्या तय करने का सुझाव
● केदारनाथ में रोजाना 13 हजार से ज्यादा श्रद्धालु न भेजने की सिफारिश
● बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन 15778 ही श्रद्धालु भेजने का सुझाव
● गंगोत्री में 8178, यमुनोत्री में 6160 श्रद्धालु ही वहन करने की क्षमता
वैज्ञानिकों ने 23 साल के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद दावा किया, दो दशक में पांच गुना बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या
अल्मोड़ा। उत्तराखंड के चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में क्षमता से अधिक श्रद्धालु हिमालय की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए खतरा बन सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने 23 साल के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर पहली बार इन धामों की वहन क्षमता (कैयरिंग कैपैसिटी) तय की है। रिपोर्ट में हिमालय पर स्थित आस्था स्थलों के संवेदनशील पर्यावरण के प्रति आगाह किया गया है।
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान, अल्मोड़ा और उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विवि के वानिकी महाविद्यालय, भरसार की यह संयुक्त शोध रिपोर्ट हाल में नेचर पोर्टफोलियो के जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई है। इसमें वर्ष 2000 से 2023 तक के डाटा का अध्ययन कर चारधामों की प्रतिदिन की वहन क्षमता निकाली गई है। इसमें चारों तीर्थस्थलों के क्षेत्रफल, भौगोलिक स्थिति, मौसम, बुनियादी ढांचे का मूल्यांकन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बदरीनाथ में रोजाना 15,778, केदारनाथ में 13,111, गंगोत्री में 8,178 और यमुनोत्री में 6,160 तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यात्रा पर वैज्ञानिक योजना नहीं बनी तो अगले दशक में हिमालय का पारिस्थितिक संतुलन गंभीर खतरे में पड़ सकता है।
लगातार भीड़ बढ़ रही
चारधाम में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2000 के दशक में चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या 10 लाख प्रतिवर्ष रहती थी। अब यह संख्या 50 लाख हो चुकी है। 2023 में सैलानियों की संख्या 56 लाख पार कर गई थी। 2024 में 47 लाख पर्यटक चारधाम पहुंचे थे।

