बेसिक स्कूलों में अधिकांश बच्चे पुरानी यूनिफॉर्म में फटे बैग लेकर आ रहे स्कूल, अभिभावक नहीं कर रहे सहयोग

 (अमेठी)। प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के अधिकांश बच्चे पुरानी यूनिफॉर्म में फटे बैग लेकर स्कूल आ रहे हैं। उनके पैरों में नए जूते-मोजे के बजाए टूटे हुए चप्पल हैं। यह स्थिति दो सेट यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, स्वेटर, जूता, मोजा आदि की खरीद के लिए अभिभावकों के बैंक खाते में निर्धारित रकम भेजे जाने के बाद की है।


अभिभावकों की इस उदासीनता से बच्चों को बढ़ती ठंड में परेशानी झेलनी पड़ रही है। गुरुवार को ‘अमर उजाला’ ने संग्रामपुर ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कैथौला सहित अन्य विद्यालय में पड़ताल किया तो 90 फीसदी बच्चे बिना यूनिफॉर्म, बिना स्वेटर, बिना जूता मोजा और पुराने स्कूल बैग के साथ स्कूल आते मिले।

90 प्रतिशत बच्चे बिना यूनिफॉर्म
मॉडल कंपोजिट विद्यालय करनाईपुर में 418 छात्र और छात्राएं हैं। यहां अभी तक नया स्वेटर, जूता, मोजा गिने-चुने बच्चों के पास हैं। 90 फीसदी बच्चे बिना यूनिफॉर्म और जूते के आ रहे हैं। प्रधानाध्यापक नन्हे लाल ने बताया प्रतिदिन अभिभावकों को बुलाकर और फोन के माध्यम से बच्चों के ड्रेस आदि सामान खरीदने की अपील की जा रही है।

टूटी चप्पल, यूनिफॉर्म भी नहीं
कंपोजिट विद्यालय बेलखरी में 165 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। अधिकांश अभिभावकों के खाते में रकम आ चुकी है। अभिभावकों के खाते में कुछ दिन पहले रुपये आए तो अध्यापकों ने अभिभावकों को बुलाकर जानकारी दी। बावजूद इसके अभी बच्चे नंगे पांव या टूटी चप्पल पहनकर बिना यूनिफॉर्म स्कूल आ रहे हैं। प्रधानाध्यापक डॉ. प्रेम कुमारी मिश्रा ने कहा कि सभी अभिभावकों से अपने बच्चों को यूनिफॉर्म, बैग आदि दिलाने की अपील की जा रही है।

पैसे आने का इंतजार
प्राथमिक विद्यालय ठेंगहा में 267 बच्चे नामांकित है। यहां भी अभी तक नया स्वेटर जूता मोजा छात्रों को नसीब नहीं हो पाया है। गुरुवार को अधिकांश छात्र बिना ड्रेस और जूते के परिसर में देखने को मिले। प्रधानाध्यापक शिव प्रसाद ने बताया कि अभी कुछ अभिभावकों के खाते में धन आने की जानकारी मिली है। सभी को ड्रेस खरीदने को कहा गया है। वहीं कुछ अभिभावक रकम आने के इंतजार में है।

अभिवावकों ने की राशि बढ़ाने की मांग
अभिभावक सीता देवी, किरण कुमारी, उमा देवी, जगन्नाथ मौर्य, संतोषी देवी, केवला पति व विद्या देवी आदि का कहना है कि सरकार ने नाम मात्र की राशि खाते में डाली है। उनका कहना है कि 1100 रुपये में आधे ही समान की खरीद हो रही है। सरकार को राशि बढ़ानी चाहिए।

ठंड में ठिठुरते स्कूल आने को मजबूर
खाते में पैसा आने के बाद भी अभिभावकों की लापरवाही से बच्चों को अभी तक स्वेटर यूनिफॉर्म जूता मोजा नसीब नहीं हो सका है। बच्चे पुराने ड्रेस पहनकर स्कूल आने को विवश हैं। मौसम के करवट बदलते ही ठंड बढ़ गई है। इससे बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल आने को विवश हैं।

शिक्षकों की अपील भी नजर अंदाज
सर्दी ने दस्तक दे दी है और भत्ता राशि आने के बाद भी अभिभावक बच्चों का स्वेटर और जूते-मोजे नहीं खरीद रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने बताया कि अभिभावकों से बार-बार अपील कर रहे हैं। कुछ अभिभावकों ने बताया कि ठंड अभी शुरू नहीं हुई है। खाते में आई रकम दवा व बीज के लिए खर्च हो गई है। जल्द ही रुपये का बंदोबस्त कर के बच्चों को स्वेटर, जूता आदि दिलाएंगे।

जूता मोजा ड्रेस खरीदना अनिवार्य
बेसिक शिक्षा विभाग के नए नियम के अनुसार शासन की ओर से डीबीटी के तहत अभिभावकों को खाते में भेजे गए 1100 रुपये में दो जोड़ी यूनिफॉर्म, जूता, मोजा, बैग व स्वेटर खरीदना अनिवार्य है। जिन बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि आ गई है उनके अभिभावकों को शीघ्र यूनिफॉर्म, जूता, मोजा व स्वेटर खरीदने की बार-बार अपील की जा रही है।
- दिनेश चंद्र जोशी, बीईओ-संग्रामपुर